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जम्मू-कश्मीर में पुलवामा आतंकी हमले के बाद से ही हलचल तेज हैं. हलचल शनिवार को और बढ़ गई जब जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के चीफ यासिन मलिक को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. सुप्रीम कोर्ट में आर्टिकल 35ए पर सुनवाई से पहले पुलिस ने एहतियात के तौर पर मलिक को हिरासत में लिया है. मलिक के हिरासत में लिए जाने के बाद तनाव को देखते हुए केंद्र सरकार ने घाटी में जवानों की मुस्तैदी बढ़ा दी है. राज्य में पुलिस और अर्द्धसैनिक बलों को हाई अलर्ट पर रखा गया है. गृह मंत्रालय ने अर्द्धसैनिक बलों की 100 कंपनियों को जम्मू-कश्मीर भेजा है. इसमें सीआरपीएफ की 35, बीएसएफ की 35, एसएसबी की 10 और आईटीबीपी की 10 कंपनियां शामिल है. पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर भीषण आतंकवादी हमले के आठ दिन बाद ये कार्रवाई सामने हो रही है. इस हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे. पिछले दिनों सरकार ने यासीन मलिक और कट्टरपंथी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस ने कुछ नेताओं की सुरक्षा वापस ले ली थी. बाद में मलिक ने कहा था कि उन्हें राज्य से कभी कोई सुरक्षा नहीं मिली. मलिक ने कहा था, ‘मेरे पास पिछले 30 सालों से कोई सुरक्षा नहीं है. ऐसे में जब सुरक्षा मिली ही नहीं तो वे किस वापसी की बात कर रहे हैं. ये सरकार की तरफ से बिल्कुल बेईमानी है.' मलिक ने संबंधित सरकारी अधिसूचना को ‘झूठ' करार दिया. सरकार ने बुधवार को कहा था कि मलिक और गिलानी समेत 18 अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा वापस ले ली गई है.
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