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क्रिकेटर से राजनेता बने कीर्ति आजाद (Kirti Azad) के एक बयान से राजनीतिक चर्चा गरमा गई है. एक जनसभा को संबोधित करते हुए भूलवश दिए गए बयान में उन्होंने कहा था कि मेरे दिवंगत पिता के लिए कांग्रेस (Congress) के लोग बूथ लूटा करते थे. अब BJP उनके बयान पर निशाना साध रही है और कह रही है कि उनकी पोल खुल गई है. बीजेपी छोडकर हाल ही में कांग्रेस में शामिल हुए कीर्ति ने अपने संसदीय क्षेत्र दरभंगा में मंगलवार को एक अभिनंदन सभा को संबोधित करते हुए कहा था कि 'कांग्रेस परिवार के सदस्य बूथ लूटा करते थे नागेंद्र बाबा और डाक्टर साहेब के लिए. इसे आज मानने में कोई गडबडी नहीं है. पिताजी के लिए और 1999 में हमारे लिए भी (बूथ) लूटा था क्योंकि उस समय इवीएम (इलेक्ट्रनिक वोटिंग मशीन) नहीं आई थी.' Kirti Azad in Darbhanga, Bihar: In those days booths were looted, Congress workers used to loot polling booths for Nagendra ji(former Congress leader). Booths were looted for my father as well and In 1999, for me also, EVMs had not been introduced then. (19.2.19) pic.twitter.com/aaOhOb3h3H — ANI (@ANI) February 21, 2019 बिहार बीजेपी अध्यक्ष नित्यानंद राय ने इस बयान को लेकर निशाना साधते हुए कहा कि 'कीर्ति ने स्वीकार किया है कि बूथ कैप्चरिंग कांग्रेस संस्कृति का एक हिस्सा है. बीजेपी के साथ रहते हुए कभी भी ऐसी चुनावी परंपराओं का सहारा नहीं लिया गया.' हालांकि कीर्ति ने स्पष्टीकरण जारी करते हुए कहा 'मेरे कहने का मतलब यह नहीं था कि उनके पिता के लिए बूथ कैप्चर किए गए. जब मैंने बूथ लूट के बारे में बोला था, मैं उस समर्पण की बात कर रहा था जिसके साथ पार्टी कार्यकर्ता मेरे पिता के लिए बूथ प्रबंधन करते थे.' कीर्ति के उस कथन पर बिहार विधान परिषद में कांग्रेस सदस्य प्रेमचंद मिश्र ने कहा कि उनके कहने का अभिप्राय यह था कि वे कांग्रेस की पृष्ठभूमि के ही हैं और पार्टी कार्यकर्ताओं के समर्थन से ही चुनाव लड़े और जीते. यह भी पढ़ें- बीजेपी से निष्कासित सांसद कीर्ति आजाद ने थामा कांग्रेस का हाथ, ट्वीट कर दी जानकारी उन्होंने कहा कि अपनी पुरानी पार्टी में वापस आने के उत्साह में वे ऐसा बोल गए. बूथ लूटने का मतलब यह नहीं कि उन्होंने ऐसा किया था. अगर बूथ लूटते तो सत्ता से बाहर नहीं होते. हमेशा चुनाव जीतते. कीर्ति के पिता भागवत झा आजाद इंदिरा गांधी मंत्रिमंडल में सदस्य रहे और 1980 के दशक में उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया था. दो दशक से बीजेपी से जुड़े और दरभंगा से दो बार सांसद रहे कीर्ति को दिल्ली एवं जिला क्रिकेट एसोसिएशन (डीडीसीए) में कथित अनियमितताओं के संबंध में केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली पर आरोप लगाने को लेकर 2015 में पार्टी से निलंबित कर दिया गया था. (इनपुट भाषा से)
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