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संजय साहनी दिल्ली और नोएडा के विभिन्न हिस्सों में घरेलू मदद की आपूर्ति करते थे और नौकर को भागने में मदद करने से पहले घर के मालिक से एक महीने का वेतन लेते थे. साहनी (32) को बीते गुरुवार को क्राइम ब्रांच ने गिरफ्तार कर लिया. दरअसल एक नियोक्ता ने अपनी शिकायत के साथ राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का दरवाजा खटखटाया था जिसके बाद ये गिरफ्तारी हो सकी. टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के अनुसार साहनी ने कई प्लेसमेंट एजेंसियों का गठन किया था और घरेलू मदद की पेशकश करने वाले ऑनलाइन पोर्टलों पर विज्ञापन दिया था. पुलिस ने कहा कि वह नौकरी के वादे के साथ झारखंड और ओडिशा की महिलाओं को लुभाने के लिए एजेंट नियुक्त करता था. उन्हें हर बार घर से भाग जाने के बाद भोजन, रहने के लिए घर और कुछ पैसे उपलब्ध कराए जाते थे. एजेंसी को अच्छे से स्कैन किया और नोएडा में आरोपियों को ट्रैक किया अतिरिक्त सीपी (अपराध) राजीव रंजन ने कहा कि डीसीपी भीष्म सिंह और एसीपी आदित्य गौतम की अगुवाई में एक टीम ने पीड़ित की शिकायत पश्चिम विहार से प्राप्त की थी. उसने पुलिस को बताया था कि आरती, घरेलू मदद के लिए आई एक नौकरानी, प्लेसमेंट एजेंसी से भाग गई थी, जहां से उसने उसे काम पर रखा था. उस लड़की ने एक महीने का वेतन और उसका कमीशन पहले ही ले लिया था. उन्होंने कहा कि एजेंसी के मालिक भी गायब हो गए थे. राजीव रंजन ने कहा- जांच के दौरान, हम दिल्ली सहित राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में चलने वाली कई ऐसी एजेंसियों के सामने आए. हमने प्रत्येक एजेंसी को अच्छे से स्कैन किया और नोएडा में आरोपियों को ट्रैक किया. साहनी के ठिकाने से पुलिस को कई आधार कार्ड मिले खोज के दौरान साहनी के ठिकाने से पुलिस को आधार कार्ड, वोटर आईडी, ड्राइविंग लाइसेंस, कई लोगों के किराए के एग्रीमेंट मिले जिनमें ज्यादातर महिलाएं थीं. पुलिस को संदेह है कि साहनी इन महिलाओं की दस्तावेजों की मूल प्रतियों को अपने पास रख कर उन्हें ब्लैकमेल करेगा. पुलिस को साहनी के ठिकाने से कई बैंकों की चेक बुक, कई घरेलू मदद एजेंसियों के लेटर हेड, स्टैम्प और फर्जी प्लेसमेंट एजेंसियों से जुड़े अन्य दस्तावेज भी मिले हैं. साहनी ने स्कूल की पढ़ाई बहुत पहले ही छोड़ दी थी डीसीपी सिंह ने कहा- उसके पास कई मोबाइल फोन भी थे. वह व्हाट्सएप मैसेज का उपयोग पीड़ितों को उनके बैंक विवरण भेजने और उन्हें अपना कमीशन खाते में जमा करने के लिए करता था. पुलिस ने बताया कि साहनी ने स्कूल की पढ़ाई बहुत पहले ही छोड़ दी थी. वह 2002-03 में दिल्ली आने से पहले बिहार में अपने परिवार के साथ मछलियों के बिजनेस में मदद करता था. मोहन गार्डन में रहते हुए वह कुछ लोगों के संपर्क में आया जो नकली नौकरी एजेंसी चलाकर लोगों को ठग रहे थे. साहनी ने इस तरह के काम को आकर्षक और तुलनात्मक रूप से सुरक्षित पाया क्योंकि पीड़ित लोग आमतौर पर पुलिस को इस मामले की रिपोर्ट करने में संकोच करते थे.
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