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कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने शुक्रवार को कहा कि राम मंदिर ‘आस्था’ का और सबरीमाला ‘प्रथा’ का मामला है और दोनों को आपस में मिलाना नहीं चाहिए. उनकी यह टिप्पणी ‘अनडॉटेड: सेविंग द आइडिया ऑफ इंडिया’ किताब के विमोचन के दौरान आई. यह किताब पिछले साल प्रकाशित हुए उनके आलेखों का संग्रह है जिसका विमोचन नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी में हुआ. P Chidambaram on #Sabarimala: I'm not a very religious person. We're not saying that SC should not resolve what is amenable to judicial resolution. I accept the SC judgement, but how can I stop ordinary men, women & party workers from expressing their views pic.twitter.com/vbB4TvzJaB — ANI (@ANI) February 8, 2019 पूर्व वित्त मंत्री ने सबरीमाला और राम मंदिर के मुद्दे पर पूछे गए सवाल के जवाब में कहा, ‘मैं बहुत धार्मिक व्यक्ति नहीं हूं. हम ये नहीं कह रहे कि सुप्रीम कोर्ट को इस मामले पर फैसला नहीं देना चाहिए था. मैं सुप्रीम कोर्ट के फैसले को स्वीकार करता हूं लेकिन मैं कैसे किसी आम व्यक्ति और पार्टी कार्यकर्ता को उसे अपने विचार व्यक्त करने से रोक सकता हूं.' उन्होंने आगे कहा, 'अयोध्या प्रथा का मामला नहीं है. प्रथा और आस्था को आपस में मत मिलाइए. सबरीमाला का मुद्दा प्रथा का है जो आधुनिक संवैधानिक मूल्यों के खिलाफ है. अयोध्या मामला आस्था का है. कुछ लोग मानते हैं कि यही भगवान राम की जन्मभूमि है. इसी के आधार पर वे इस जमीन पर दावा करते हैं.' P Chidambaram: Others are saying a mosque existed several hundred yrs ago. The question is whether Supreme Court would resolve issues framed by the Allahabad High Court. Many of those issues are amenable to judicial resolution. But I don't think we can mix issue of custom & faith — ANI (@ANI) February 8, 2019 चिदंबरम ने कहा कि कुछ अन्य लोग कहते हैं कि अयोध्या में सैकड़ों साल से मस्जिद थी. अब सवाल यह है कि क्या सुप्रीम कोर्ट इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा तय किए मुद्दों का हल करेगी. इन मुद्दों में से कई न्यायिक संकल्प के लिए उत्तरदायी हैं. मुझे नहीं लगता कि हमें आस्था और प्रथा को आपस में मिलाना चाहिए.'
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