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जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की रिसर्च स्कॉलर और एक्टिविस्ट शेहला रशीद पर सोमवार को देहरादून पुलिस ने एफआईआर दर्ज किया है. उनपर ट्विटर पर अफवाह फैलाने का आरोप लगा है. दरअसल, ट्विटर पर शनिवार को शेहला ने एक ट्वीट किया था, जिसमें उन्होंने लिखा था कि देहरादून के एक होस्टल में 15 से 20 लड़कियां फंसी हुई हैं, जबकि होस्टल के सामने भीड़ उनके निलंबन की मांग कर रही है. उन्होंने ये भी लिखा कि पुलिस मौके पर मौजूद थी लेकिन पुलिस भीड़ को वहां से हटा नहीं पाई. #SOSKashmir 15-20 Kashmiri girls trapped in a hostel in Dehradun for hours now, as an angry mob outside demands that they be expelled from the hostels. This is in Dolphin institute. Police is present but unable to disperse the mob.@INCUttarakhand @uttarakhandcops @ukcopsonline — Shehla Rashid شہلا رشید (@Shehla_Rashid) February 16, 2019 शेहला के इस ट्वीट का खंडन करते उत्तराखंड पुलिस ने रविवार को एक ट्वीट में लिखा कि कोई भी कश्मीरी किसी हॉस्टल में नहीं फंसे हुए हैं. This is not true ...Police sorted out d issue ..There r no crowds .. Initially there was an allegation that kashmiri students raised pro pakistan slogans. — Uttarakhand Police (@uttarakhandcops) February 16, 2019 सोमवार को देहरादून पुलिस ने इसके बाद सोमवार को शेहला के खिलाफ आईपीसी की कई धाराओं के तहत सार्वजनिक शांति भंग करने की कोशिश के आरोपों में उनपर एफआईआर दर्ज कराया गया. शेहला रशीद ने एफआईआर की कॉपी ट्वीट करते हुए लिखा 'बीजेपी की सरकार के तहत न्याय मांगने पर आपको ये कीमत चुकानी पड़ती है.' उन्होंने ट्विटर पर लिखा, 'उत्तराखंड पुलिस ने मेरे खिलाफ एफआईआर दर्ज की है. लेकिन उन्होंने अभी तक बजरंग दल के संयोजक विकास वर्मा के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया है, जिसने कश्मीरियों को देहरादून छोड़ने की धमकी दी है और मॉब अटैक्स की जिम्मेदारी ली है. नहीं समझ आ रहा है कि उत्तराखंड में अब किसकी सरकार है.' The price you pay for seeking justice under a BJP govt.#SOSKashmir #UnHateNow #HateKiNoEntry #KashmirDistressAlert #Kashmir #Pulwama pic.twitter.com/ypj70EhH92 — Shehla Rashid شہلا رشید (@Shehla_Rashid) February 18, 2019 टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, सीनियर एसपी निवेदिता कुकरेती ने कहा कि 'शेहला रशीद ने अपने ट्वीट में दावा किया कि कश्मीरी लड़कियां 'घंटों तक फंसी' हुई थीं और बाहर खड़ी भीड़ 'उनका खून चाहती' थी. ये दोनों बी बातें तथ्यात्मक रूप से गलत थीं और इलाके में अशांति फैला सकती थीं.' ऐसी कई मीडिया रिपोर्ट्स आई हैं, जिसमें सामने आया है कि जम्मू-कश्मीर से बाहर रह रहे कश्मीरी छात्रों को पुलवामा अटैक के बाद शोषण और हमले का शिकार होना पड़ा है.
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