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शिवसेना नेता संजय राउत ने गठबंधन के मुद्दे पर बयान दिया है. उन्होंने कहा, 'अगर 2019 में एनडीए की सरकार बनती है तो शिवसेना, अकाली दल और बाकी बड़े सहयोगियों का एक अहम स्थान होगा.' राउत ने कहा, 'एनडीए में शामिल सभी पार्टियां अपने राज्य में मजबूत हैं. अगर आप उनसे केंद्र में गठबंधन करना चाहते हो तो उनके राज्य में सीएम उनकी पार्टी का होना चाहिए.' Shiv Sena leader Sanjay Raut: If NDA government is formed in 2019, Shiv Sena, Akali Dal & other major allies will have a role. All the allies of NDA are strong in their states & if you want to have an alliance with them at centre, the CM in that state should be from that ally. pic.twitter.com/3KRoPPvMo9 — ANI (@ANI) February 14, 2019 हाल के दिनों में शिवसेना नेता संजय राउत का दिल्ली में चंद्रबाबू नायडू के उपवास में शामिल होकर उन्हें समर्थन जताना और बंगाल की ममता बनर्जी की बात का समर्थन करते हुए केंद्र सरकार की ओर से सीबीआई का इस्तेमाल विरोधियों के खिलाफ करने का आरोप लगाने का मतलब क्या निकाला जाए, कि तकरीबन 30 साल पुराना बीजेपी और शिवसेना का गठबंधन अब अंतिम सांसें गिन रहा है? वैसे बीजेपी साल 2014 अक्टूबर में विधानसभा का चुनाव शिवसेना के बगैर लड़ी थी लेकिन महाराष्ट्र चुनाव के रिजल्ट के बाद दिसंबर में दोनों पार्टियों ने मिलकर वहां सरकार बनाई. ऐसे में शिवसेना लोकसभा चुनाव महाराष्ट्र में बीजेपी के साथ लड़ेगी या फिर गठबंधन से बाहर निकल लोकसभा और विधानसभा चुनाव अकेले लड़ेगी? यह एक बड़ा सवाल है. गठबंधन में रोड़ा कहां अटका है? बीजेपी फिलहाल 50-50 फीसदी सीटों पर चुनाव लड़ने का फॉर्मूला देकर गठबंधन कायम रखना चाह रही है लेकिन शिवसेना महाराष्ट्र में बड़े पार्टनर की भूमिका चाहती है. शिवसेना जानती है कि महाराष्ट्र यूपी के बाद सबसे बड़ा राज्य है जहां 48 लोकसभा सीटें हैं. पिछले चुनाव में बीजेपी और शिवसेना 41 सीट जीत पाने में कामयाब हुए थे इसलिए महाराष्ट्र बीजेपी के लिए बेहद महत्वपूर्ण राज्य है. शिवसेना बिहार की तर्ज पर सीटों का बंटवारा चाहती है, जहां दोनों पार्टी के बीच बराबरी का बंटवारा हो और राज्य की सत्ता की कमान हर हाल में शिवसेना के हाथों होगा, इसको लेकर पहले ही सहमति हो जाए. जाहिर है, दोनों पार्टियां एक-दूसरे के बगैर चुनाव में जाने का नुकसान समझती हैं लेकिन इसको लेकर किस हद तक समझौता किया जाए वो सीमा तय होता दिखाई नहीं पड़ रहा है. समय बेहद कम है और शिवसेना प्रधानमंत्री के खिलाफ राफेल से लेकर राम मंदिर जैसे मुद्दे पर लगातार हमले कर रही है. ये भी पढ़ें: Kejriwal Vs LG: जज को जनता भगवान मानती थी, लेकिन भगवान भी इंसाफ नहीं कर सके- संजय सिंह ये भी पढ़ें: बैंकों को मुझसे पैसा लेने के लिए क्यों नहीं कह रहे पीएम मोदी: माल्या
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