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देश के पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा गुरुवार को लोकसभा में भाषण देते हुए भावुक नजर आए. इस दौरान उन्होंने बीजेपी नेताओं की इस बात को खारिज कर दिया कि महागठबंधन काम नहीं करेगा. अपनी सरकार का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि कई पार्टियों को साथ लेकर बनी मेरी सरकार ने इस बात को सिद्ध किया है कि महागठबंधन काम कर सकता है. उन्होंने कहा कि वाजपेयी ने गठबंधन वाली सरकार चलाई. अगर आपसी समझ हो तो महागठबंधन वाली सरकारें चल सकती हैं. राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर लोकसभा में चर्चा में भाग लेते हुए जेडीएस सदस्य देवगौड़ा ने कहा कि संभवत: यह सदन में मेरा आखिरी भाषण है. उन्होंने कहा, 'मैंने राष्ट्रीय व राज्य स्तर पर 57 साल राजनीति में बिताए हैं और यह लोकसभा में मेरा अंतिम भाषण है.' प्रधानमंत्री नहीं बनना चाहता था, परिस्थितिवश बन गया उन्होंने कर्नाटक विधानसभा और संसद में अपने कार्यकाल का उल्लेख करते हुए कहा कि वह प्रधानमंत्री नहीं बनना चाहते थे लेकिन परिस्थितिवश बन गए. उन दिनों को याद करते हुए देवगौड़ा ने कहा कि जब 1996 में उन्हे प्रधानमंत्री बनाए जाने की बात आई तो वह बहुत इच्छुक नहीं थे क्योंकि यह सरकार कई पार्टियों को मिलाकर चलानी थी. बता दें कि देवेगौड़ा 1996 से 1997 के बीच प्रधानमंत्री रहे थे. उन्होंने कहा कि पीएम का प्रस्ताव पहले वीपी सिंह और सीपीएम नेता और पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री ज्योति बसु को दिया गया था लेकिन उनके मना करने के बाद उनका नाम प्रधानमंत्री पद के लिए प्रस्तावित किया गया. प्रधानमंत्री पद का बहुत सम्मान करता हूं उन्होंने यह भी कहा कि ‘मैंने कभी संसद के अंदर या बाहर प्रधानमंत्री के पद के खिलाफ कुछ नहीं बोला. मैं इस पद का बहुत सम्मान करता हूं.’ देवगौड़ा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 के चुनावों से पहले कहा था कि वह भ्रष्टाचार मुक्त भारत चाहते हैं. उन्होंने कहा, ‘जब तक चुनाव प्रणाली में बदलाव नहीं आता. यह संभव नहीं है. भले ही आप सत्तापक्ष में बैठें या विपक्ष में.’ देवगौड़ा ने अपने एक साल से भी कम समय के प्रधानमंत्रित्व काल की तुलना राष्ट्रपति के अभिभाषण में उल्लेखित एनडीए सरकार की उपलब्धियों से करते हुए कहा कि हमने ग्रामीण विकास को अधिक तरजीह दी.
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