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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भले ही खुद गृहस्थ ना हों लेकिन सरकार के मुखिया होने के नाते वह राज्य में चल रही 'मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना' के सिर्फ कर्णधार ही नहीं बल्कि प्रेरणास्रोत भी हैं. राज्य में अपनी सत्ता के लगभग 22 महीने पूरे करने वाली योगी आदित्यनाथ सरकार मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना को लेकर खासी सजग है और लगातार सामूहिक विवाह के कार्यक्रम आयोजित कर रही है. परिणामों से उत्साहित योगी ने इसके तहत दी जाने वाली राशि 35 हजार से बढ़ाकर 51 हजार रूपए कर दी है. प्रदेश के समाज कल्याण मंत्री रमापति शास्त्री का कहना है, 'समाज में सर्वधर्म-सम्भाव और सामाजिक समरसता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से राज्य सरकार की तरफ से मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना संचालित है.' वह बताते हैं कि इस योजना के तहत विभिन्न समुदाय और धर्मों के रीति-रिवाजों के अनुसार सामूहिक विवाह कराया जाता है. एक दिन में हुआ 15 हजार जोड़ो का सामूहिक विवाह सरस्वती पूजन के वार्षिक उत्सव बसंत पंचमी से ठीक एक दिन पहले सूबे के विभिन्न जिलों में एक ही दिन में 15 हजार 384 जोडों का सामूहिक विवाह संपन्न कराया गया जबकि लक्ष्य दस हजार जोड़ों के सामूहिक विवाह का था. योगी सरकार बनने के बाद पिछले वर्ष से अब तक 50 हजार से अधिक जोड़ों का सामूहिक विवाह सरकारी खर्च पर किया गया है. योजना के तहत नव विवाहित जोड़ों के जीवन में खुशहाली और गृहस्थी के लिए कन्या के खाते में चेक के माध्यम से 35 हजार रुपए की धनराशि का अनुदान और आवश्यक सामग्री जैसे कपड़े, बिछिया, पायल, बर्तन जैसी चीजें दी जाती हैं. इसके अलावा 10 हजार रुपए की धनराशि से आवश्यक वैवाहिक सामग्री भी दी जाती है. वहीं प्रत्येक जोड़े के विवाह आयोजन पर 6 हजार रुपए व्यय किए जाने की व्यवस्था है. इस प्रकार योजना के तहत एक जोड़े के विवाह पर कुल 51 हजार रुपये की धनराशि दिए जाने की व्यवस्था है. इस योजना में दो लाख रूपए सालाना आय सीमा के तहत आने वाले परिवार कवर होते हैं. योजना के तहत विधवा, तलाकशुदा, परित्यक्ता महिलाओं के पुनर्विवाह की भी व्यवस्था है.
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