मध्यस्थता से हल नहीं होगा अयोध्या विवाद, अध्यादेश लाने की जरूरत: शिवसेना

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शिवसेना ने शनिवार को कहा कि राम जन्मभूमि एक भावनात्मक मुद्दा है और इसे मध्यस्थता के जरिए हल नहीं किया जा सकता. पार्टी ने केंद्र से इस मुद्दे पर अध्यादेश लाने और राम मंदिर का निर्माण शुरू करने को कहा है. शिवसेना ने पूछा कि जब राजनेता, सरकारें और देश की सर्वोच्च अदालत अब तक इस मुद्दे को हल नहीं कर सके तो फिर ये तीन मध्यस्थ क्या करेंगे? मध्यस्थता का एक और मौका देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कोर्ट के पूर्व जस्टिस एफ एम आई कलीफुल्ला की अध्यक्षता में एक तीन सदस्यीय समिति का गठन किया है जो अयोध्या में दशकों पुराने राजनीतिक रूप से संवेदनशील राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद के संभावित हल की संभावना मध्यस्थता के जरिए तलाशने की कोशिश करेगी. आध्यात्मिक गुरु और ऑर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन के संस्थापक श्री श्री रविशंकर और वरिष्ठ वकील श्रीराम पांचू भी इस समिति के सदस्य होंगे. शिवसेना ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्मभूमि विवाद पर फैसला टाल दिया और अब इस मामले पर फैसला लोकसभा चुनाव के बाद ही होगा. पार्टी ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ में पूछा, 'एकमात्र सवाल यह है कि अगर इस मामले का मध्यस्थता से हल हो सकता तो फिर यह विवाद 25 सालों से क्यों चल रहा होता और सैकड़ों लोगों को क्यों अपनी जान गंवानी पड़ती?' इस संपादकीय में कहा गया है, 'देश के राजनेता, शासक और सुप्रीम कोर्ट इस मामले को हल नहीं कर पाए और क्या मध्यस्थ अब ऐसा कर पाएंगे.' इसमें कहा गया है, 'अगर इतने सालों में इस मुद्दे पर विरोधी पक्ष मध्यस्थता के लिये तैयार नहीं थे तो अब कोर्ट ऐसा क्यों कर रहा है? अयोध्या सिर्फ जमीन विवाद का मुद्दा नहीं है बल्कि यह भावनात्मक मुद्दा है. ऐसा अनुभव किया जा चुका है कि मध्यस्थता ऐसे संवेदनशील मामलों में कारगर नहीं होती.' ‘सामना’ में उद्धव ठाकरे के नवंबर 2018 के अयोध्या में विवादित स्थल के दौरे का संदर्भ देते हुए कहा गया, 'लोग यह चाहते हैं कि केंद्र को एक अध्यादेश लाना चाहिए और राम मंदिर के निर्माण का काम शुरू करना चाहिए. हमने भी अयोध्या में यही बात कही थी.' शिवसेना ने पूछा, 'जिस तरह कश्मीर राष्ट्रीय पहचान और गर्व का मुद्दा है, राममंदिर भी हिंदू गर्व का मुद्दा है. लेकिन राम हिंदुस्तान में निर्वासन में हैं. अपनी 1500 वर्ग फुट जमीन के लिए, भगवान राम को मध्यस्थों से बात करनी होगी. अब भगवान भी कानूनी विवाद से नहीं बच सकते. इसके लिए किसे जिम्मेदार ठहराया जाए?'

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