क्या कर्नाटक में कांग्रेस और JDS की सीट शेयरिंग BJP के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है?

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कांग्रेस और जेडीएस के बीच बुधवार को लोकसभा सीटों पर सहमति बनी. जेडीएस आठ और कांग्रेस 20 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. सहमति के ऐलान के एक दिन बाद गुरुवार को कांग्रेस पार्टी के एक नेता ने कहा, 'हमने हार किसी पर अपनी प्रतिबद्धता जताई है.' कांग्रेस नेता ने कहा कि कर्नाटक राज्य के लाखों कांग्रेस कार्यकर्ताओं की भावनाओं को ध्यान में रखकर गठबंधन किया गया है. एक महीने के लंबे विचार-विमर्श के बाद कांग्रेस और जेडीएस ने राज्य में 20-8 के फॉर्मूला पर सीट शेयरिंग को अंतिम रूप दिया है. भले ही कांग्रेस के शीर्ष नेताओं में से किसी ने सीट बंटवारें को लेकर खुलकर नहीं बोला है लेकिन अब साफ तौर पर बेचैनी दिखाई दे रही है. कांग्रेस का राज्य नेतृत्व 6 से ज्यादा सीटें नहीं देना चाह रहा था. लेकिन, बातचीत में इस मामले को सुलझा लिया गया. पिछले हफ्ते जेडीएस सुप्रीमो और पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा ने दिल्ली आकर राहुल गांधी से मुलाकात की और पार्टी के लिए 8 सीटें लेने में कामयाब रहे. बता दें कि विधानसभा में कांग्रेस के 80 के मुकाबले जेडीएस के पास 37 विधायक हैं. जेडीएस राज्य के मौसूर क्षेत्र के छह जिलों में ज्यादा सक्रिय है. राज्य के बाकी हिस्सों में जेडीएस की मौजूदगी ना के बराबर है, लेकिन इस क्षेत्र में उसका वर्चस्व है. सीट शेयरिंग में जेडीएस ने हसन और मांड्या लोकसभा सीटों को मांग लिया है, जोकि उनका गढ़ है. इसके साथ ही जेडीएस ने तुमकुर लोकसभा सीट भी अपने लिए सुरक्षित रख ली है. इस क्षेत्र में कांग्रेस के पास 5 और उनके मुकाबले जेडीएस के पास 5 विधायक हैं. जेडीएस को उडुपी-चिकमंगलूर, उत्तरी कन्नड़ और विजयापुर/बीजापुर के अलावा शिमोगा सीटें मिल रही हैं. हालांकि जेडीएस तुमकुर में कमजोर दिख रही है, जबकि वह बेंगलुरु नार्थ में अच्छी लड़ाई लड़ सकती है. आठ में से चार सीटों पर जेडीएस का प्रभाव बहुत ज्यादा अच्छा नहीं है. ऐसा कहा जा रहा है कि सीटों के चयन में कांग्रेस ने जेडीएस को झटका दिया है. (न्यूज18 के लिए डीपी सतीश की रिपोर्ट)

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