इस भारतीय फिल्ममेकर को घर आकर दिया था आॅस्कर, दुनिया ने माना लौहा, मिला भारत रत्न और..

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सत्यजित रे की देश में ही नहीं बल्कि दुनिया भर में फिल्ममेकिंग पर गहरी छाप रही है। 2 मई, 1921 को कोलकाता में जन्मे सत्यजित को कला और संगीत विरासत में मिला। उनके दादा उपेन्द्रकिशोर राय एक प्रसिद्ध लेखक, चित्रकार और संगीतकार थे। सिनेमा और कला के क्षेत्र में रे का योगदान कभी नहीं भुलाया जा सकता। उनके प्रयासों की वजह से इंडियन सिनेमा को विदेशों में भी एक पहचान मिली और सत्यजीत और उन्हें फिल्मों में विशेष योगदान देने के लिए ऑस्कर अवार्ड तक मिला।

 

इस भारतीय फिल्ममेकर को घर आकर दिया था आॅस्कर, दुनिया ने माना लौहा, मिला भारत रत्न और..

उन्होंने अपने जीवन में 37 फिल्मों का निर्देशन किया, जिनमें फीचर फिल्में, वृत्त चित्र और लघु फिल्में शामिल हैं। इनकी पहली फिल्म 'पाथेर पांचाली' को कान फिल्मोत्सव में सर्वोत्तम मानवीय प्रलेख का पुरस्कार मिला। उन्हें कुल ग्यारह अन्तरराष्ट्रीय पुरस्कार मिले।

 

इस भारतीय फिल्ममेकर को घर आकर दिया था आॅस्कर, दुनिया ने माना लौहा, मिला भारत रत्न और..

भारत सरकार की ओर से फिल्म निर्माण के क्षेत्र में विभिन्न विधाओं के लिए उन्हें 32 राष्ट्रीय पुरस्कार मिले। सत्यजीत रे दूसरे फिल्मकार थे, जिन्हें ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने डॉक्टरेट की उपाधि से समानित किया। वर्ष 1985 में उन्हें दादा साहब फाल्के अवॉर्ड से समानित किया गया। 1992 में उन्हें भारत रत्न भी मिला। सत्यजित रे को उनके फिल्मों में 'लाइफटाइम अचीवमेंट' के लिए ऑस्कर से भी समानित किया गया। उस वक्त पे बीमार थे तो एकेडमी ने उन्हें घर आकर अवॉर्ड दिया था।



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