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बॉलीवुड अभिनेता पंकज त्रिपाठी को उनकी शुरुआती फिल्मों जैसे कि 'रन' (2004) में उतना नोटिस नहीं किया गया। साल 2012 में आई फिल्म 'गैंग्स ऑफ वासेपुर' में उनके किरदार ने दर्शकों का ध्यान खींचा। इसके बाद 'सेक्रेड गेम्स' और 'मिर्जापुर' आई जिसमें उनका किरदार सभी को बेहद पसंद आया। बॉलीवुड में उन्हें डेब्यू किए हुए एक दशक से अधिक का वक्त बीत चुका है और अब इस प्रतिभाशाली कलाकार का कहना है कि भारत ने उन्हें अब पहचानना शुरू किया है, जब वह 44 के हैं। उन्होंने कहा,'मैं 44 साल का हूं और देश मुझे अब जान रहा है। कभी न होने से देर होना अच्छा है।'

बिहार में गोपालगंज जिले में स्थित गांव बेलसंद में पैदा होने वाले पंकज उन चुनौतियों से नहीं डरे जिसका सामना उन्होंने अपने कॅरियर में इस मुकाम तक पहुंचने के दौरान किया। पंकज ने बताया,'मुझे भी उन संघर्षों का सामना करना पड़ा जिनका सामना हर कलाकार को करना पड़ता है। मेरी मुश्किलें दूसरों से अलग नहीं थी। मैं एक गैर-फिल्मी पृष्ठभूमि से आता हूं और मैं एक छोटे से गांव का लड़का हूं इसलिए चुनौतियां कुछ ज्यादा थीं। मुझे लगता है कि ऐसा होता ही है और मुझे कोई शिकायत नहीं है क्योंकि ऐसा सिर्फ एक्टिंग में नहीं बल्कि हर क्षेत्र में होता है।' उन्होंने आगे कहा, 'आप जिस भी पेशे में हैं, वहां नाम बनाने में वक्त लगता है।'

पंकज के मुताबिक, 'संघर्ष के इन सालों में आपको कुछ अनुभव मिलते हैं।' उन्होंने 'फुकरे' सीरीज, 'मसान', 'निल बटे सन्नाटा', 'बरेली की बर्फी', 'न्यूटन' और 'स्त्री' जैसी फिल्मों में काम किया है। उनका यह भी मानना है कि आज के समय में इस बात का कोई फर्क नहीं पड़ता है कि आप इंडस्ट्री में से हैं या बाहर से। उन्होंने कहा, 'किसी इन्साइडर के लिए भी सफर उतना ही कठिन है। दर्शकों का भी विकास हुआ है। अब यह किसी के लिए भी आसान नहीं है। आपको यह साबित करना होगा कि आप सर्वश्रेष्ठ हैं।' हिंदी सिनेमा में 15 सालों के बाद पंकज को आज देश के एक प्रतिभावान कलाकार के तौर पर जाना जाता है।
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