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'दामुल', 'मृत्युदंड', 'गंगाजल', 'अपहरण' ( apharan ) , 'राजनीति' ( rajneeti ) जैसी बेहतरीन और सफल फिल्में दे चुके मशहूर निर्देशक प्रकाश झा ( Prakash Jha ) का कहना है कि अपनी फिल्मों को थिएटर तक लाने में उन्हें लगातार संघर्ष करना पड़ा है। प्रकाश ने हाल ही में अंतरराष्ट्रीय भारतीय फिल्म महोत्सव (इफ्फी) से अलग हर साल आयोजित होने वाले 'एनएफडीसी फिल्म बाजार' में शिरकत की। इस दौरान उन्होंने अपनी स्ट्रगल का जिक्र किया।
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पहचान मिलना मुश्किल है
उनका मानना है कि कला से हटकर पैसा कमाने की चाह रखने वालों के लिए यह एक मुश्किल प्रक्रिया है। प्रकाश झा बताते हैं कि मेरे लिए अपनी फिल्मों को सिनेमाघर तक पहुंचाना कभी आसान नहीं रहा। संघर्ष लगातार बना रहा। किसी को यह कभी नहीं सोचना चाहिए कि वह ब्रांड बन गया है और जो चाहे वह रिलीज कर सकता है। कभी-कभी किसी फिल्म को रिलीज करने में आपको पूरा जीवन झोंकना पड़ता है। कलाकार होना उतना मुश्किल नहीं है जितना कि पहचान मिलना। मेरा मानना है कि प्रत्येक व्यक्ति एक कलाकार होता है, मैं तो उनमें से महज एक हूं जिन्होंने इसे कॅरियर के तौर पर चुना। यह एक मुश्किल प्रक्रिया है।
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सच्ची घटना पर्दे पर पेश करता हूं
प्रकाश आगे बताते हैं कि मैंने हर बार सच्ची घटनाओं को बड़े- पर्दे पर पेश करने की कोशिश की है। जो मैं अपने आस- पास देखता हूं, उसे ही लोगों तक पेश करने की कोशिश करता हूं। भले ही फिल्म कितनी ही मुश्किलों से गुजरे, लेकिन जब इसे दर्शक देखें तो वह उससे कनेक्ट कर पाए।
शिक्षा पर आधारित फिल्म लेकर आएंगे प्रकाश
गौरतलब है कि इस बार प्रकाश शिक्षा पर आधारित फिल्म लेकर आ रहे हैं। फिल्म एक ऑटो-रिक्शा चालक के बारे में है जो रोजाना बच्चों को विद्यालय छोड़ने जाता है और अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा देने का सपना देखता है। फिल्म का निर्देशन प्रकाश झा ने ही किया है। मूवी में आदिल हुसैन, प्रियंका बोस, संजय सूरी और शुभम झा अहम किरदारों में हैं। इसका निर्माण प्रकाश झा प्रोडक्शन्स तले किया गया है।
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