प्रसिद्ध कत्थक नृत्यांगना सितारा देवी ने पद्म भूषण पुरस्कार लेने से कर दिया था मना, जानें इसकी खास वजह!

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नई दिल्ली। कथक डांसर सितारा देवी को यदि कथक क्वीन की संज्ञा दी जाए तो गलत नही होगा। क्योकि वो भारत की ही नही देश विदेश की भी प्रसिद्ध कत्थक नृत्यांगना थीं आज इस नृत्यांगना का 99वां जन्मदिन है। आज के दिन हम आपको उनसे जुड़े कुछ अनसुने किस्सों से रूबरू कराते हैं। सितारा देवी का जन्म 8 नवंबर 1920 को कोलकाता में हुआ था। 16 साल की उम्र में ही रविंद्रनाथ टैगोर के द्वारा उऩ्हें 'नृत्य सम्रागिनी' के खिताब से नवाजा गया था ।
सितारा देवी को डांस की यह कला विरासत में मिली थी उनके पिता सुखदेव महाराज भी एक कथक डांसर थे । साथ ही संस्कृत भाषा का भी उन्हें काफी ज्ञान था। सितारा देवी की कामयाबी का सफर काफी संघर्षपूर्ण रहा । क्योकि जिस समय वो इस कला को सीख रही थी उस दौरान लड़कियों के डांस करने को गलत तरीके से देखा जाता था। इसी वजह से समाज में उनकी काफी आलोचना भी हुई थी । सभी तरह की अलोचनाओं को सुनने के बाद भी उनके पिता सुखदेव महाराज ने अपनी बेटी सितारा देवी को इस कला से वंचित नही किया बल्कि उनका पूरा साथ दिय़ा।

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समाज में सितारा को गंदे-गंदे नामों से पुकारा जाने लगे। तब उनके पिता सुखदेव ने कहा था, 'जब राधा कृष्ण के लिए डांस कर सकती है तो मेरी बेटी क्यों नहीं।' समाज के गंदे गदं शब्दों को सुनने के बाद बमहाराज जी ने अपना घर बदल दिया था। फिर उन्होंने एक डांसिंग स्कूल शुरू किया जहां वेश्याओं के बच्चों को दाखिला दिया। कम उम्र से ही नृत्य की शिक्षा लेने वाली सितारा देवी 10 साल की उम्र में ही सोलो परफॉर्मेंस देने लगी थीं ।
मुंबई आने के बाद सितारा देवी ने आतिया बेगम पैलेस में कथक की प्रस्तुति दी थी । इस कार्यक्रम में रविंद्रनाथ टैगोर, सरोजनी नायडू और पारसी परोपकारी सर कोवाजसी जहांगीर शामिल थे । सितारा देवी ने कुछ फिल्मों में भी काम किया। उनकी डेब्यू फिल्म 'औरत का दिल'थी । इसके अलावा उन्होंने 'नगीना', 'रोटी', वतन और अंजली जैसी फिल्मों में भी परफॉर्म किया ।

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कला और नृत्य में विशेष योगदान देने के लिए सितारा देवी को 1970 में पद्मश्री और 1994 में कालीदास सम्मान मिला था । इसके अलावा 1969 में उन्हें संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है । साल 2002 में उन्हें पद्मभूषण सम्मान दिया जाने वाला था लेकिन उन्होंने ये पुरस्कार लेने से इनकार कर दिया था।
इसको न लेने की वजह बताते हुए सितारा देवी ने कहा था कि वो भारत रत्न से कम कोई अवॉर्ड नहीं लेंगी । भारत के अलावा सितारा देवी ने विदेश में भी अपने नृत्य का जादू बिखेरा । सितारा देवी की तीन शादियां हुईं । तीसरी शादी से उनको एक बेटा हुआ जिसका नाम रंजीत बरोट है।



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