कभी नाइट क्लब में गाती थीं, भारी आवाज की वजह से निकाल दिया क्लास से, फिर बनीं बॉलीवुड की पॉप क्वीन

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पॉप क्वीन ऊषा उत्थुप ने बॉलीवुड में अपनी अलग पहचान बनाई है। वह इंडस्ट्री की एक ऐसी सिंगर हैं, जिन्होंने पॉप संगीत को अलग मुकाम दिया। वह आज अपना 72वां बर्थडे सेलिब्रेट कर रही हैं। उनका जन्म 7 नवंबर, 1947 को मुंबई में हुआ था। जब उषा स्कूल में थी तो उन्हें उनकी भरभरी आवाज के लिए संगीत की क्लास से बाहर निकाल दिया गया था। लेकिन, उनकी संगीत की अध्यापिका ने उन्हें संगीत की शिक्षा दी। उनका लालन-पालन एक संगीतमय माहौल में हुआ। सिंगर का ट्रेडमार्क कांचीपुरम की साड़ी, बड़ी सी गोल बिंदी और बालों में फूल हैं।

नाइट क्लब में गाती थीं
उषा ने अपने कॅरियर की शुरुआत होटलों में गाना गाकर की। इसके बाद उन्होंने मुंबई के 'टॉक ऑफ द टाउन' और कलकत्ता के 'ट्रिनकस' जैसे नाइट क्लब में गाना शुरू किया। 'ट्रिनकस' के बाद, अपने अगले कॉन्ट्रैक्ट पर ऊषा को दिल्ली के ओबरॉय होटल में गाना पड़ा। आज भी उत्थुप फिल्म से ज्यादा लाइव शो करने को तरजीह देती हैं।

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पार्टी में मिला प्लेबैक सिंगिंग का ऑफर
दिल्ली की एक पार्टी उनके कॅरियर के लिए टनिंग प्वाइंट साबित हुई। इस पार्टी में शशि कपूर भी आए थे। शशि कपूर पार्टी में उनका गीत सुनकर प्रभावित हुए और उन्हें फिल्मों में काम करने का ऑफर दिया। 'हरे रामा हरे कृष्णा' के साथ अपना बॉलीवुड में उनके गायन की शुरुआत हुई।

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'दम मारो दम' से मिली प्रसिद्धी
आशा भोसले के साथ चर्चित गीत 'दम मारो दम' में उनको बॉलीवुड ने नोटिस किया। उस गाने की अंग्रेजी पंक्तियां उत्थुप ने गायी थीं। 1968 में एक ईपी रिकार्ड पर अंग्रेजी में 'जाम्बालया' और 'द किंग्सटन ट्रायो' नामक समूह का 'ग्रीनबैक डॉलर' नामक पॉप गानों की रिकॉडिंग की। लव स्टोरी तथा किंग्सटन ट्रायो समूह का अन्य गीत 'स्कॉच एंड सोडा' की बिक्री भारतीय बाजार में अच्छी हुई। इसके बाद का उत्थुप का कुछ समय लंदन में बीता।

बर्मन और बप्पी संग जुगलबंदी
ऊषा की आरके वर्मन और बप्पी लहरी के साथ अच्छी जुगलबंदी रही। इन्होंने सबसे ज्यादा गीत इन्हीं संगीतकारों के साथ गाए। 'शालीमार', 'शान, वारदात', 'प्यारा दुश्मन', 'अरमान', 'दौड़', 'अरमान', 'कभी खुशी कभी गम', 'भूत', 'जॉगर्स पार्क' और 'हैट्रिक' जैसी फिल्मों में गाए गए उनके गीत सराहे गए। विशाल भारद्वाज की फिल्म 'सात खून माफ' में रेखा भारद्वाज के साथ गाए गए गीत 'डार्लिंग' से उन्होंने खूब सुर्खिया बटोरीं। विश्व के लगभग हर बड़े शहर में उत्थुप ने अपनी प्रस्तुति दी।



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