दूरदर्शन पर रामायण शुरू होते ही गलियों में छा जाता था सन्नाटा, लेकिन इतना हिट शो बनाने वाले की जिंदगी थी बेरंग, की चपरासी की नौकरी

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मशहूर निर्माता निर्देशक रामानंद सागर ( ramanand sagar ) का जन्म 29 दिसंबर 1917 को लाहौर के पास हुआ था। उनके जन्म के वक्त उनका नाम चंद्रमौली चोपड़ा था, लेकिन उनकी दादी ने बदलकर रामानंद कर दिया था। रामानंद का परिवार आर्थिक रुप से संपन्न नहीं था लेकिन उनकी पढ़ने-लिखने में काफी रुचि थी। वे दिन में चपरासी, ट्रक क्लीनर और साबुन बेचने का काम करते और रात में अपनी डिग्री के लिए पढ़ाई करते थे।

 

दूरदर्शन पर रामायण शुरू होते ही गलियों में छा जाता था सन्नाटा, लेकिन इतना हिट शो बनाने वाले की जिंदगी थी बेरंग, की चपरासी की नौकरी

रामानंद ने पत्रकारिता से अपने कॅरियर की शुरुआत की। इस दौरान उनकी रूचि पोएट्री में भी बढ़ गई। इसके बाद रामानंद ने अपना फोकस फिल्ममेकिंग की तरफ कर लिया। साल 1932 में साइलेंट फिल्म रायडर्स ऑफ रेल रोड में क्लैपर बॉय बने थे और इस तरह उन्होंने अपने फिल्मी कॅरियर की शुरुआत की। इसके बाद साल 1942 में उन्हें टीबी की बीमारी से गुजरना पड़ा। इस बारे में स्टार ने अपने आर्टिकल में भी लिखा था। जि

दूरदर्शन पर रामायण शुरू होते ही गलियों में छा जाता था सन्नाटा, लेकिन इतना हिट शो बनाने वाले की जिंदगी थी बेरंग, की चपरासी की नौकरी

दो साल संघर्ष के बाद उन्हें राज कपूर के साथ काम करने का मौका मिला। उन्होंने साल 1949 में राज कपूर की फिल्म बरसात के डायलॉग्स और स्क्रीनप्ले को लिखा था। उन्होंने अगले ही साल सागर आर्ट कॉरपोरेशन नाम की अपनी प्रोडक्शन कंपनी खोल ली थी और इस कंपनी के नाम कई चर्चित फिल्में हैं जिनमें पैगाम, आंखे, ललकार, जिंदगी और आरजू जैसी फिल्में शामिल हैं।

80 के दशक में एक दौर ऐसा भी आया जब देश में दूरदर्शन एंटरटेनमेंट का साधन बनने लगा। रामानंद को एहसास हो चला था कि इस दौर में टीवी का जबरदस्त दबदबा होगा। यही कारण है कि उन्होंने रामायण और महाभारत जैसे शोज का निर्माण किया। ये वो दौर था जब रामायण या महाभारत के प्रसारण होने पर सड़कों पर सन्नाटा पसर जाता था। लोग अपने टीवी से चिपक जाते थे, इस सीरियल के कलाकारों को कई लोग भगवान समझने लगे थे। 12 दिसंबर, 2005 को उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया।

 



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