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-दिनेश ठाकुर
भारत में कोयला खदानों पर तो 'काला पत्थर' और 'कालका' से लेकर 'गैंग्स ऑफ वासेपुर' तक कई फिल्में बन चुकी हैं, लेकिन कन्नड़ फिल्म 'के.जी.एफ.' (2018) से पहले सोने की खदानों पर हमारे फिल्मकारों का ज्यादा ध्यान नहीं गया था। 'के.जी.एफ.' बनाने वालों का ध्यान शायद इसलिए गया कि सोने की सबसे ज्यादा खदानें कर्नाटक में हैं। वहां कोलार, धारवाड़, हसन और रायचूर में धरती सोना उगलती है। देश में 88.7 फीसदी सोने का उत्पादन कर्नाटक में होता है।
करीब 150 करोड़ रुपए की लागत वाली 'के.जी.एफ. 2' पिछले दिसंबर में सिनेमाघरों में पहुंचने वाली थी, लेकिन किन्हीं कारणों से यह मुमकिन नहीं हुआ। अब सिनेमाघर बंद होने से यह अटकी पड़ी है। पिछले दिनों खबर उड़ी थी कि इस फिल्म को सीधे डिजिटल प्लेटफॉर्म पर उतारा जा सकता है। प्रशांत नील और यश ने इस खबर को नकारते हुए स्प्ष्ट किया है कि यह फिल्म बड़े पर्दे के लिए बनाई गई है। इसे सिनेमाघरों में ही दिखाया जाएगा। उनकी तरह सिनेमा-प्रेमियों को भी सिनेमाघर खुलने का इंतजार है।
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