सैयामी खैर का छलका दर्द बोलीं, 'Mirzya' के बाद केवल छोटे कपड़े में नाचने वाले रोल ही मिले

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बॉलीवुड अभिनेत्री सैयामी खेर (Syami Kher) इन दिनों अपनी आने वाली फिल्म 'चोक्ड : पैसा बोलता है' (Choked: Paisa Bolta Hai) को लेकर सुर्खियों में छाई हुई हैं। इस फिल्म में वह अपनी इमेज से बिल्कुल अलग नजर आने वाली है। चोक्ड में वह ना केवल उम्र से बड़ी महिला का किरदार निभा रही हैं। इसमें वह सरिता के रोल में है जो एक 10 साल के बच्चे की मां है। हाल ही में दिए एक इंटरव्यू में अपनी आने वाली फिल्म और अपने किरदार को लेकर खुलकर बात की है।

Syami Kher

फिल्म की स्क्रिप्ट के बारे में बात करती हुई सैयामी (Syami Kher) ने बताया कि मुझे तीन साल पहले 2017 में इस मूवी की स्क्रिप्ट मिली। इसने मुझे अपने बचपन के दिनों की याद दिला दी। हमारे नासिक में भी ऐसा ही होता था। इसकी कहानी से मैं बहुत प्रभावित हुई। इसके बाद मैं अनुराग सर से बोलने लगी कि वे यह फिल्म कब बनाने जा रहे है। मैं लस्ट स्टोरीज और सेक्रेड गेम्स के सेट पर जाकर बैठ जाती थी। अपने किरदार के लिए सैयामी ने खूब मेहनत की है। उम्रदराज दिखने को लेकर एक्ट्रेस ने कहा कि मैंने उम्रदराज में ढलने के लिए करीब 12 किलो वजन बढ़ाया है।

सैयामी ने एक सवाल के जवाब में बताया कि डायरेक्टर में किरदार के बारे में कहा कि आप सोच लो कि यह करना है या नहीं। फिर मुझे ऐसे ही रोल मिलने लगते हैं लेकिन 'मिर्ज्‍या' (Mirzya) के बाद मुझे दो सीन वाले, छोटे कपड़े पहनकर यहां नाचो-वहां नाचो वाले रोल के ऑफर ही आ रहे थे। ऐसे रोल में मुझे कोई रूचि नहीं थी। जब यह स्टोरी मुझे मिली तो मैंने ये सोचा ही नहीं कि मां को रोल करूंगी। उन्होंने कहा कि जब भूमि पेडनेकर और तापसी पन्नू ने तो 70 साल की औरत का रोल किया है तो मां का रोल करने में कोई परेशानी नहीं है।

Syami Kher

एक इंटरव्यू में सैयामी ने बताया था कि अपनी पहली फिल्म 'मिर्ज्या' की असफलता से गुजरना बिल्कुल भी आसान नहीं था। उन्होंने खुद पर या अपनी योग्यता पर से विश्वास नहीं खोया। अभिनेत्री का कहना है कि मुश्किल के समय ने उन्हें धैर्य रखने और आगे बढ़ने की सीख दी। सैयामी ने बताया, 'मिर्ज्या' मेरे लिए ड्रीम लॉन्चिंग की तरह थी और दुभार्ग्य से उसका बॉक्स ऑफिस प्रदर्शन बहुत अच्छा नहीं रहा।

आपको बता दें कि अनुराग कश्यप 'चोक्ड' एक मध्यवर्गीय गृहिणी की कहानी है। डिमॉनेटाइजेशन कैसे उसके जीवन को बदल देता है इस पर यह कहानी है। साथ ही यह इस बात पर भी प्रकाश डालती है कि वह कैसे अपने बेरोजगार पति की मदद कर रही है। फिल्म बनाने के संदर्भ में कश्यप ने एक इंटरव्यू बताया कि फिल्म पर काम करना एक अच्छी प्रोसेस रही। यह एक लंबा इंतजार था। इसकी शुरुआत साल 2015 में एक स्क्रिप्ट के साथ हुई थी।



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