लेटेस्ट खबरें हिंदी में, अजब - गजब, टेक्नोलॉजी, जरा हटके, वायरल खबर, गैजेट न्यूज़ आदि सब हिंदी में

-दिनेश ठाकुर
कोरोना काल में फिल्मों के प्रदर्शन का परिदृश्य पूरी तरह बदल गया है। सिनेमाघर जल्दी नहीं खुलने के आसार को देखते हुए बॉलीवुड की तरह हॉलीवुड में भी नई फिल्मों को सीधे ओटीटी प्लेटफॉर्म पर उतारने का सिलसिला रफ्तार पकड़ रहा है। मेल गिब्सन की 'फोर्स ऑफ नेचर' और थामस कैल की 'हेमिलटन' के बाद 10 जुलाई को हॉलीवुड के महानायक टॉम हैंक्स की मेगा बजट वाली 'ग्रेहाउंड' का सीधे डिजिटल प्रीमियर होने वाला है। 'फिलाडेल्फिया' (1993) और 'फोरेस्ट गम्प' (1994) के लिए ऑस्कर अवॉर्ड जीतने वाले 63 साल के टॉम हैंक्स इतनी फिल्मों में फौजी अफसर बन चुके हैं कि अब उन्हें यह किरदार अदा करने के लिए किसी पूर्व तैयारी की जरूरत नहीं पड़ती होगी। पॉल ग्रीनग्रास की 'कैप्टन फिलिप्स' में पोत के कप्तान, क्लिंट ईस्टवुड की 'सुली' में फुर्तीले पायलट और स्टीवन स्पीलबर्ग की 'सेविंग प्राइवेट रयान' में फौजी के किरदार के बाद दूसरे विश्व युद्ध की पृष्ठभूमि वाली 'ग्रेहाउंड' में वे अमरीकी नौसेना के कमांडर की वर्दी में नजर आएंगे।
सी.एस. फोरेस्टर के 1955 में लिखे गए उपन्यास 'द गुड शेपर्ड' पर आधारित 'ग्रेहाउंड' की पटकथा खुद टॉम हैंक्स ने लिखी है। यह दूसरे विश्व युद्ध के दौरान एटलांटिक महासागर में अमरीकी नौसेना के बेड़े और जर्मनी के फौजियों के बीच हुई लम्बी झड़प के बारे में है। अमरीकी नौसेना की निगरानी में कई जहाज अमरीका से ब्रिटेन जा रहे थे, तभी रास्ते में जर्मन फौज ने उन्हें घेर लिया था। दरअसल, दूसरा विश्व युद्ध तकनीकी और आर्थिक तौर पर सम्पन्न देशों के बीच वर्चस्व की ऐसी अंधी होड़ का नतीजा था, जिसने कई गरीब देशों को तबाह कर दिया। हॉलीवुड वालों का ध्यान इन देशों की तबाही पर कम, अपनी फौज की बहादुरी पर ज्यादा जाता है और बार-बार जाता है। 'ग्रेहाउंड' में फिर अमरीकी फौज का गुणगान करते हुए साबित किया जाएगा कि दुनिया में इसके जैसे जांबाज और बहादुर फौजियों की मिसाल मिलना मुश्किल है। यूं भी हर देश युद्ध के इतिहास को अपने हिसाब से लिखता है, जिसमें हकीकत कम और अफसाने ज्यादा होते हैं।
एलन शनैडर के निर्देशन में बने 'ग्रेहाउंड' नाम के अफसाने में स्टीफन ग्राहम, रॉब मॉर्गन और एलिजाबेथ शू ने भी अहम किरदार अदा किए हैं। कुछ अर्सा पहले कोरोना की चपेट में आ चुके टॉम हैंक्स को इसका बड़ा मलाल है कि बड़े कैनवास वाली उनकी यह फिल्म सिनेमाघरों के बदले ओटीटी प्लेटफॉर्म पर उतारी जा रही है। कोरोना काल में फिल्म वालों के सामने इसके अलावा कोई विकल्प भी तो नहीं है।
from Patrika : India's Leading Hindi News Portal Read Full Article
via Patrika Rss