Exclusive: डायरेक्टर अभिषेक शर्मा बोले-ओटीटी एक अलग प्लेटफॉर्म, सिनेमाघर फिर खुलेंगे और दर्शक वहीं देखेंगे फिल्में

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बॉलीवुड निर्देशक अभिषेक शर्मा ने हाल ही इंडस्ट्री में बतौर निर्देशक 10 वर्ष पूरे कर लिए हैं। उनकी पहली फिल्म कॉमेडी जोनर की 'तेरे बिन लादेन' है। पहली ही फिल्म की रिलीज को लेकर उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। अभिषेक का कहना है कि इन वर्षो में उन्होंने बहुत कुछ सीखा है। साथ ही उनका कहना है कि इंडस्ट्री में पिछले 10 वर्षों में काफी बदलाव आया है। उन्होंने पत्रिका एंटरटेनमेंट के साथ अपनी अभी तक की जर्नी और पसर्नल लाइफ के बारे में बातचीत की।


डिस्ट्रीब्यूटर नहीं मिल रहा था

अभिषेक ने बताया, 'तेरे बिन लादेन' को रिलीज करने में हमें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। हम फिल्म बनाने के बाद कई डिस्ट्रीब्यूटर्स के पास इसे लेकर गए, लेकिन कोई भी इसे डिस्ट्रीब्यूट करने को तैयार नहीं था। बाद में बोनी कपूर ने इस फिल्म को देखा और उन्हें पसंद आई। इसके बाद उन्होंने कहा कि मैं इसे रिलीज करूंगा।'

Exclusive: डायरेक्टर अभिषेक शर्मा बोले-ओटीटी एक अलग प्लेटफॉर्म, सिनेमाघर फिर खुलेंगे और दर्शक वहीं देखेंगे फिल्में

कई लोगों ने मांगी माफी

अभिषेक ने आगे बताया कि जब फिल्म 'तेरे बिन लादेन' रिलीज हुई तो शुक्रवार को बिजनेस कम रहा, लेकिन इसके बाद इसकी माउथ पब्लिसिटी इतनी हुई कि शनिवार को बॉक्स आॅफिस कलेक्शन दोगुना हो गया और रविवार को शो हाउसफुल हो गए। इसके बाद कई डिस्ट्रीब्यूटर्स ने माफी भी मांगी, जिन्होंने इस फिल्म को रिजेक्ट कर दिया था।' बता दें कि इस फिल्म की कहानी भी अभिषेक ने ही लिखी थी।


कहानियों का महत्व बढ़ा

अभिषेक का कहना है कि पिछले 10 सालों में सिनेमा में बहुत बदलाव आए हैं। 10 साल पहले 'तेरे बिन लादेन' जैसी फिल्मों का चलन नहीं था। अब अलग तरह की कहानियां आ रही हैं। छोटे बजट की फिल्में भी 100 करोड़ का कारोबार कर रही हैं। यह बहुत बड़ा बदलाव है। अब कहानियों का महत्व बढ़ गया है। दर्शकों का भी टेस्ट बदल रहा है। हमारा सिनेमा बहुत सही दिशा में जा रहा है।


ओटीटी एक अलग इंडस्ट्री

निर्देशक ने कहा,'ओटीटी प्लेटफॉर्म वेब सीरीज और शॉर्ट फिल्मों के लिए अच्छे हैं। ओटीटी एक अलग इंडस्ट्री है। हालांकि अभी ओटीटी की डिमांड बढ़ी है, लेकिन यह अस्थाई है। सिनेमाघर अभी बंद हैं तो फिल्ममेकर्स के पास और कोई चारा नहीं है, लेकिन सिनेमाहॉल। फिर खुलेंगे और दर्शक वहीं जाकर फिल्में देखना पसंद करेंगे। नए अपडेट आएंगे। मुझे लगता है कि फिल्मों के लिए सिनेमाघर ही स्थाई विकल्प है।'


नेपोटिज्म हर जगह

बॉलीवुड में भाई—भतीजावाद के प्रश्न पर अभिषेक ने कहा, 'नेपोटिज्म हर जगह है, लेकिन हर किसी के लिए मौका और जगह है, बॉलीवुड में भी। इससे लड़ने की जगह आप अपनी क्षमता दिखाएं। मेरा मानना है कि अगर मेहनत करेंगे तो सफलता जरूर मिलेगी। मुझे 10 साल हो गए इंडस्ट्री में, लेकिन कभी आउटसाइडर की महसूस नहीं किया।'



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