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बच्चे कितने भी बड़े क्यों न हो जाए लेकिन अपने माता-पिता के सामने वह बच्चे ही रहते हैं। जब बच्चा छोटा होता है तो पेरेंट्स को लगता है कि वह उनके बिना कुछ नहीं कर सकता। जैसे ही बच्चा बड़ा होता है तो फिर वह अपने हिसाब से फैसले लेने लगता है जो आगे चलकर उसके लिए परेशानी का कारण बन जाता है। यह कहना है नितेश पांडे और सुचिता त्रिवेदी (Nitesh Pandey and Suchita Trivedi) का। नितेश और सुचिता (Exclusive Interview Nitesh Pandey and Suchita Trivedi) सोनी एंटरटेनमेंट के नए शो 'इंडिया वाली मां' (India Wali Maa) में नजर आएंगे। दोनों कलाकार ने पत्रिका एंटरटेनमेंट के साथ बातचीत में शो की कहानी और शूटिंग में बताया।

संकल्प और समर्पण की कहानी
सुचिता इसमें एक मां (कौशल्या) के किरदार में है। 'इंडिया वाली मां' ऐसी ही एक मां की प्यारी और अपनी-सी लगने वाली कहानी है, जो कभी अपने बेटे का साथ नहीं छोड़ती। भले ही उसके बेटे को यह लगे कि उसे अपनी मां की जरूरत नहीं है। एक भारतीय मां, अपने कर्तव्य और निस्वार्थ प्यार के मामले में सबसे आगे रहती है। वो अपने बच्चों का भविष्य बनाने में उनका साथ देती है और उनका हौसला बढ़ाती है। यह शो अपने बेटे के प्रति एक मां के संकल्प और समर्पण की कहानी है। उन्होंने कहा कि मां सोचते कि मेरा बेटा बड़ा होकर अच्छी पढ़ाई पढ़ाई पढ़ लिख कर विदेश में जाएगा। अच्छे पैसे कमाएगा और मेरे बुढ़ापे का सहारा बनेगा। वह ऐसा बिल्कुल भी नहीं सोचती। वह तो केवल निस्वार्थ अपने बेटे से प्यार करती है और यही चाहती है कि वह कहीं भी रहे बस सदा खुश रहे। लेकिन उनका बेटा अपने माता-पिता से दूर रहकर गलत राह पर चलने लगता है और बेटे को समझाने की कोशिश करते हैं।

शूटिंग के अनुभव
नितेश पांडे (हंसमुख) ने शूटिंग के बारे में अनुभव शेयर करते हुए उन्होंने कहा कि पहले के मुकाबले में शूटिंग में बहुत बदलाव आया है। पहले जहां हम ग्रुप में बहुत सारे लोग एक साथ शूट करते थे लेकिन अब ऐसा नहीं है। सेट पर सभी लोग अपनी सुरक्षा का विशेष ध्यान रख रहे हैं। समय-समय पर हम लोगों का टेंपरेचर चेक किया जा रहा है। एक्टर्स और ग्रुप मेंबर सहित सोशल डिस्टेंसिंग मास्क का उपयोग कर रहे हैं। सेट पर चैनल की ओर से भी दो आदमी तैनात किए गए हैं जो हमेशा सभी लोगों की सुरक्षा का ध्यान रख रहे हैं।

बेटे को सही राह पर लाती है मां
शो की कहानी की बात करें तो इसमें एक बेटा है जो अमेरिका में पढ़ता है और नौकरी भी करता है। वह अपने माता-पिता के ज्याद टच में नहीं रहता है। मां जिद्दी करती है कि उनको स्मार्टफोन लाकर दो, जिससे वह अपने बेटे को देख सके उससे बात कर सके। वह जानना चाहती है कि उसका लाडला कहां रहता है, किस से मिलता है और क्या करता है। इस प्रकार वह मां बहुत ज्यादा चिंता करती है। एक दिन वीडियो कॉलिंग के बाद मां को पता चलता है कि उसके बेटे में बहुत बदलाव आ गया है। वह गुमराह होकर गलत रास्ते पर चलने लगता है और फिर मां-बाप उसे समझाने की कोशिश करते हैं। बेटा जिद्दी रहता है लेकिन आखिरकार मां उससे सही रास्ते पर ले आती।
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