Sonu Sood की आत्मकथा 'मैं मसीहा नहीं' दिसंबर में, एक्टर ने कहा- इसमें मेरी और प्रवासी मजदूरों की कहानी

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मुंबई। सोनू सूद ( Sonu Sood ) ने लॉकडाउन ( Lockdown in India ) के दौरान हजारों लोगों की आगे आकर मदद की। लॉकडाउन में जब लोग पैदल अपने गृह नगर जाने की जिद पर अड़े थे, तब सोनू ने अपने दम पर लोगों को परिवहन की व्यवस्था करवाकर घर भेजा। इसके लिए सोनू ने अपनी एक टीम बनाई। लोगों का डेटा कलेक्ट किया। तुरंत राहत देने के लिए हैल्पलाइन नंबर भी शुरू किए।

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खुद की और प्रवासियों के जीवन की किताब
सोनू ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट पर गुरुवार को फैंस के साथ अपनी आने वाली आत्मकथा ( Sonu Sood Autobiography ) की जानकारी शेयर की है। उन्होंने अपनी किताब का कवर पेज और टाइटल का खुलासा किया। इसके कैप्शन में एक्टर ने लिखा,'यह बताते हुए खुशी हो रही है कि मेरी किताब 'आई एम नो मसीहा' ( I Am No Messiah ) दिसंबर में रिलीज होगी। यह जितना मेरे जीवन की किताब है उतना ही हजारों प्रवासी मजदूरों की। इसके हिन्दी और अंग्रेजी संस्करण की बुकिंग की जा सकती है।' इस किताब का सह-लेखन मीरा अय्यर करेंगी। किताब को ऐसे लिखा जाएगा जैसे सोनू खुद बात कर रहे हों। इस किताब का नाम 'आई एम नो मसीहा' रखा गया है। इसका मतलब है कि 'मैं मसीहा नहीं हूं'। यह किताब हिन्दी और अंग्रेजी में उपलब्ध होगी।

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ये सब होगा किताब में
सोनू की इस आत्मकथा का अधिकांश हिस्सा कोरोना लॉकडाउन के दौरान उनके अनुभवों से भरा होगा। इसमें वह महामारी के दौरान लोगों की भावनात्मक कहानियों को समेटेंगे। साथ ही इस दौरान आई परेशानियों का जिक्र भी होगा। लोगों की मदद करने के लिए दौरान उन्हें जो आंतरिक सीख मिली, उसकी भी डिटेल इसमें शामिल होगी। सोनू ने न केवल लोगों को उनके घरों तक पहुंचाया बल्कि जब हालात सामान्य हुए और उन्हें जॉब की जरूरत हुई तो इसका भी प्रबंध किया। अब तो ये हाल हैं कि हर जरूरतमंद उनसे किसी भी तरह की मदद मांग सकता है और यथासंभव एक्टर उसकी मदद का प्रयास करते हैं।

'मैं मसीहा नहीं हूं'
अपनी किताब की घोषणा के समय सोनू ने बयान में कहा कि लोग बहुत उदार हैं और मुझे प्यार से मसीहा कहते हैं। लेकिन मेरा मानना है कि वास्तव में मैं कोई मसीहा नहीं हूं। मैं वही करता हूं जो मेरा दिल कहता है। मानव होने के नाते हमारी जिम्मेदारी है कि हम एक-दूसरे की मदद करें।



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