'शोले' की शूटिंग में Dharmendra ने चला दी थी असली गोली, अमिताभ के कान के पास से गुजरी

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मुंबई। 'कौन बनेगा करोड़पति 12' शो के हालिया एपिसोड में अमिताभ बच्चन ( Amitabh Bachchan ) ने सीआरपीएफ डीआईजी प्रीत मोहन सिंह ने शोले ( Sholay Film ) फिल्म से जुड़ा एक खुलासा किया। बिग बी ने बताया कि फिल्म की शूटिंग के दौरान बड़ा हादसा होते-होते रह गया। धर्मेन्द्र ( Dharmendra ) ने असली गोली चला दी, उससे में बाल-बाल बचा।

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कान के पास से गुजरी गोली
उन्होंने कहा,'जब हम उस दृश्य की शूटिंग कर रहे थे, तब धरम जी नीचे थे और मैं पहाड़ी की चोटी पर था। धरम जी ने एक संदूक खोली और गोला बारूद उठाए। उन्होंने एक बार फिर प्रयास किया, लेकिन गोलियां फिर भी नहीं उठा पाए। इससे धरम जी बहुत चिढ़ गए। मुझे नहीं पता कि उन्होंने क्या किया, उन्होंने बंदूक में कारतूस डाल दिया। वे असली गोलियां थीं। उन्हें सही शॉट न मिलने से इतनी चिढ़ हुई कि उन्होंने गोली चला दी। मैंने एक 'हुस्स' की आवाज सुनी, क्योंकि जब मैं पहाड़ी पर खड़ा था तो गोली मेरे कान के पास से गुजरी थी। उसने असली गोली चलाई थी। मैं बच गया। फिल्म के दौरान ऐसी कई घटनाएं हुई थीं और 'शोले' वास्तव में एक विशेष फिल्म थी।'

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गौरतलब है कि इस बार स्वाधीनता दिवस पर रमेश सिप्पी की 'शोले' ने 45 साल पूरे कर लिए। डाकुओं के आतंक और बदले के फार्मूले वाली यह क्लासिक फिल्म 15 अगस्त, 1975 को सिनेमाघरों में उतारी गई थी। सिनेमाघरों के बाद 'शोले' वीडियो और सीडी बाजार में छाई रही। अब यह इंटरनेट पर सबसे ज्यादा देखी जाने वाली फिल्मों में शामिल है। इसके निर्माता जी.पी. सिप्पी ने एक बार कहा था कि दुनियाभर में जितने लोग 'शोले' देख चुके हैं, उनका आंकड़ा जुटाया जाए तो यह शायद भारत की आबादी से भी ज्यादा होगा।

शुरूआती दिनों में नहीं चली 'शोले'
बताया जाता है कि 'शोले' के प्रीमियर के बाद इंडस्ट्री की हस्तियों, ट्रेड पंडितों और समीक्षकों की प्रतिक्रियाएं जोश ठंडा करने वाली थीं। ज्यादातर का कहना था कि फिल्म में कुछ भी खास नहीं है। प्रदर्शन के पहले दिन मिनर्वा को छोड़ मुम्बई के बाकी सिनेमाघरों में भीड़ नहीं उमड़ी तो फिल्म के निर्माता जी.पी. सिप्पी की चिंता और बढ़ गई। तीन दिन बाद ज्यादातर सिनेमाघरों में 'शोले' का कारोबार 50 फीसदी से कम रहा। दूसरी तरफ 'शोले' के साथ रिलीज फिल्म 'जय संतोषी मां' में भीड़ बढ़ती जा रही थी। हालांकि दूसरे हफ्ते के दौरान मुम्बई के सिनेमाघरों में 'शोले' देखने वालों की भीड़ उमडऩे लगी। भीड़ में कई ऐसे लोग भी थे, जो पहले हफ्ते ही फिल्म देख चुके थे। माउथ पब्लिसिटी के दम पर दिन-ब-दिन 'शोले' चुम्बक में तब्दील होती गई। आगे जो हुआ, वह ऐसा सुनहरा इतिहास है।



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