Radhika Apte की लम्बी छलांग, हॉलीवुड की फिल्म में जासूस के किरदार में

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-दिनेश ठाकुर
पांच साल पहले आई सुजॉय घोष की शॉर्ट फिल्म 'अहिल्या' में 35 साल की राधिका आप्टे ने 80 साल के सौमित्र चटर्जी की पत्नी का किरदार अदा किया था। फिल्म में यह जोड़ा इंदीवर के मिसरों 'न उम्र की सीमा हो, न जन्म का हो बंधन/ जब प्यार करे कोई तो देखे केवल मन' की सहजता से तर्जुमानी करता है। चौदह मिनट की इस फिल्म ने राधिका आप्टे को सुर्खियों से नवाजा, जो उन्हें इससे पहले 'वाह, लाइफ हो तो ऐसी', 'रक्त चरित्र' और 'शोर इन द सिटी' समेत दो दर्जन फिल्मों से नसीब नहीं हुई थीं। रहन-सहन और ख्यालात के मामले में अति आधुनिक (अल्ट्रा मॉडर्न) वर्ग की नुमाइंदगी करने वाली राधिका 'अहिल्या' के बाद 'माझी- द माउंटेन मैन', 'पैडमैन' और 'अंधाधुन' समेत कई और फिल्मों में नजर आ चुकी हैं। इनमें बांग्ला, अंग्रेजी, तमिल, तेलुगु, मलयालम और मराठी भाषा की फिल्में शामिल हैं। अब उनके खाते में हॉलीवुड की एक फिल्म भी जुड़ गई है। दूसरे विश्व युद्ध की पृष्ठभूमि पर आधारित निर्देशक लिडिया डीन पिल्शेर की पीरियड फिल्म 'ए कॉल टू स्पाइ' में उन्होंने नूर इनायत खान नाम की जासूस का किरदार अदा किया है। अमरीका और ब्रिटेन में प्रदर्शन के बाद भारत में 11 दिसम्बर को इस फिल्म का डिजिटल प्रीमियर किया जा रहा है।
पश्चिम की परिक्रमा
शायद हॉलीवुड की इस फिल्म से राधिका आप्टे के कॅरियर में वह रफ्तार आ जाए, जिसका वे 15 साल से इंतजार कर रही हैं। वैसे भी भारत में उन फिल्मों और प्रतिभाओं की पूछ-परख अचानक बढ़ जाती है, जो पश्चिम की परिक्रमा कर आती हैं। 'पीपली लाइव' की कद्र तब की गई, जब इसे बर्लिन फिल्म समारोह में दिखाया गया। उससे पहले भारतीय सिनेमाघरों के दरवाजे इस फिल्म के लिए बंद थे। इसी तरह कान फिल्म समारोह में शिरकत करने के बाद भारत के आम और खास ने 'गैंग्स ऑफ वासेपुर' के बारे में जाना। ब्रिटिश फिल्मकार डैनी बॉयल की 'स्लमडॉग मिलिनेयर' भारतीय परिवेश पर बनी है और इसमें भारतीय कलाकारों (अनिल कपूर, इरफान खान) ने काम किया है, भारतीयों को इसका पता तब चला, जब फिल्म ने ऑस्कर की आठ ट्रॉफियां जीतीं।
कहीं पे निगाहें, कहीं पे निशाना
हॉलीवुड और बॉलीवुड को कभी नदी के दो किनारे माना जाता था, जिन्हें पानी तो सामान रूप से छूता है, लेकिन जो कभी आपस में नहीं मिलते। यह धारणा काफी पहले टूट चुकी है। भारतीय कलाकारों को लेकर हॉलीवुड कई साल से 'मेरा दर खुला है, खुला ही रहेगा तुम्हारे लिए' की मुद्रा में है। यह दूसरी बात है कि इस मुद्रा के पीछे 'कहीं पे निगाहें, कहीं पे निशाना' का भाव ज्यादा है। भारतीय कलाकारों को मौके देकर हॉलीवुड भारत के फिल्म बाजार पर पकड़ मजबूत कर रहा है, जिसे अमरीका और चीन के बाद दुनिया का सबसे बड़ा बाजार माना जाता है।
भर्ती के किरदार
गौर करने वाली बात है कि हॉलीवुड की ज्यादातर फिल्मों में भारतीय कलाकारों को मामूली किरदार सौंपे गए हैं। 'टाइटैनिक' के नायक लिओनार्डो डीकाप्रियो की 'द ग्रेट गेट्सबाय' को लेकर काफी शोर हुआ कि इसमें अमिताभ बच्चन ने भी काम किया है। लेकिन उनका किरदार इतना छोटा और महत्त्वहीन है कि अगर वे न होते, तो फिल्म के नक्शे पर कोई असर नहीं पड़ता। 'स्पाइडरमैन 4' में इरफान खान का किरदार भी इसी किस्म का था। उनसे इस फंतासी फिल्म में सिर्फ 10 मिनट की हाजिरी लगवाई गई। टॉम क्रूज की 'मिशन इम्पॉसिबल' में अनिल कपूर के किरदार की लम्बाई भी 15 मिनट से आगे नहीं गई।



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