Rajinikanth और कमल हासन की नई पारी से बनेंगे सियासत में नए समीकरण

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-दिनेश ठाकुर

अमिताभ बच्चन ( Amitabh Bachchan ) के साथ 'अंधा कानून', 'गिरफ्तार' और 'हम' में काम कर चुके रजनीकांत ( Rajinikant ) ने पिछले साल अपनी फिल्म 'दरबार' की लॉन्चिंग के मौके पर अमिताभ को अपनी प्रेरणा बताते हुए कहा था- 'वे मुझे कैमरे के सामने ही नहीं, कैमरे से इतर भी प्रेरित करते हैं। एक बार उन्होंने मुझसे कहा था कि 60 साल के बाद तीन बातों पर ध्यान देना चाहिए- नियमित वर्जिश करो, लोग क्या कहते हैं, इसकी परवाह किए बगैर वह करो, जो करना चाहते हो और सियासत में कदम मत रखो।' पहली दो बातों पर रजनीकांत ने कितना अमल किया, यह तो पता नहीं, तीसरी बात को उन्होंने दरकिनार कर दिया है। वे सियासत में कदम रखने वाले हैं। इसी महीने की आखिरी तारीख को वे अपनी पार्टी का ऐलान करेंगे। वे अगले साल तमिलनाडु विधानसभा चुनाव लडऩे की तैयारी में हैं। इसी तरह की तैयारी फिल्मों में उनके धुर विरोधी कमल हासन ( Kamal Haasan ) भी कर चुके हैं। होली की तरह चुनाव के मौके पर भी 'रंगों में रंग मिल जाते हैं और गिले-शिकवे भूलकर दुश्मन भी गले मिल जाते हैं।' अगर रजनीकांत और कमल हासन की पार्टियां मिलकर चुनाव लड़ती हैं, तो तमिलनाडु में सियासत की तस्वीर बदल सकती है।

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जब ससंद पहुंचे थे तीन सितारे
अस्सी के दशक में अमिताभ बच्चन, सुनील दत्त, वैजयंतीमाला और राजेश खन्ना कांग्रेस के टिकट पर जीतकर संसद में पहुंचे थे, तो तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष बलराम जाखड़ ने कहा था- 'कला और खूबसूरती के प्रवेश से संसद ग्लैमर हाउस हो गई है।' प्रतिपक्ष ने फिल्मी सितारों को सियासत में मौके देने की काफी आलोचना की थी। फिल्मी सांसदों के बारे में शशि कपूर की टिप्पणी थी- 'वे सच्चे कलाकार और सच्चे इंसान हैं। कुछ पेशेवर राजनीतिज्ञों की तरह जनता के सामने नकल करने वाले नहीं।'

अन्नादुरै ने खोला रास्ता
उत्तर भारत के मुकाबले दक्षिण की सियासत में फिल्मी सितारे ज्यादा कामयाब रहे हैं। तमिलनाडु में इस कामयाबी की पटकथा साठ के दशक में सी.एन. अन्नादुरै ने लिखी थी, जो तमिल फिल्मों के पटकथा लेखक और गीतकार थे। एक दूसरे पटकथा लेखक एम. करुणानिधि और फिल्मों के रॉबिनहुड एम.जी. रामचंद्रन के साथ मिलकर अन्नादुरै ने 1967 के विधानसभा चुनाव में ऐसा फिल्मी रंग जमाया कि 1952 से तमिलनाडु में राज कर रही कांग्रेस के अच्छे दिन हवा हो गए। तभी से वहां सत्ता की चाबी करुणानिधि की द्रमुक और 1972 में इस पार्टी से अलग होकर बनी एम.जी. रामचंद्रन की अन्ना द्रमुक के बीच घूम रही है। अब रजनीकांत और कमल हासन की सक्रियता सियासत में नए समीकरण के संकेत देती है।

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'हम बदलेंगे, हम सब कुछ बदलेंगे'
रजनीकांत 2017 से ही सियासी पार्टी बनाने की बात कर रहे थे। फिल्मों की व्यस्तता उन्हें यह मौका नहीं दे रही थी। लेकिन हाल ही अपने एक ट्वीट ने उन्होंने 'अभी नहीं तो कभी नहीं' और 'हम बदलेंगे, हम सब कुछ बदलेंगे' जैसे जुमलों के साथ 31 दिसम्बर को पार्टी बनाने का ऐलान कर अपने चाहने वालों को पटाखे फोडऩे का मौका दे दिया। आय से ज्यादा सम्पत्ति के मामले में 2014 में तत्कालीन मुख्यमंत्री जयललिता को जब 14 दिन के लिए जेल भेजा गया था, तो रजनीकांत ने कहा था- 'हैप्पी।' अब उनकी सियासी तैयारियों को लेकर उनके प्रशंसक उससे भी ज्यादा 'हैप्पी' नजर आते हैं। देखना है, फिल्मों में खास अंदाज वाले एक्शन से तालियां और सीटियां लूटने वाले रजनीकांत सियासत में क्या कमाल करते हैं।



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