फिल्में पूरी हो जाने के बाद क्या होता है कलाकारों के कपड़ों का, यहां जानिए

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मुंबई। बॉलीवुड मूवीज में कलाकारों की ड्रेसेज को लेकर फैंस में काफी क्रेज रहता है। सफल मूवीज में स्टार्स की पहनी ड्रेसेज के डिजाइन बाजार में अच्छे दामों में बेचे जाते हैं। प्रमुख कलाकारों के अलावा अन्य स्टार्स भी किरदार के अनुसार अलग—अलग ड्रेसेज में नजर आते हैं। कुछ फिल्मों के गानों में सैकड़ों की संख्या में सहायक डांसर्स होते हैं। इनकी भी गाने की थीम के अनुसार अलग-अलग ड्रेसेज होती हैं। ऐसे में फैंस के दिमाग में अक्सर ये सवाल आता है कि फिल्मों के पूरे होने के बाद इन ड्रेसेज का होता क्या है। क्या इन्हें दोबारा यूज नहीं किया जाता? क्या बार-बार अलग-अलग मूवीज में रियूज किया जाता है? आइए यहां जानते हैं आखिर किस काम में लिया जाता है इन ड्रेसेज को:

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दूसरी मूवीज में लेते हैं काम
प्रोडक्शन हाउस सितारों की इमेज को फिल्मों में आकर्षक बनाने के लिए कपड़ों पर काफी पैसा खर्च करते हैं। इनमें लीड स्टार्स और अन्य कलाकारों के कपड़े शामिल होते हैं। जब मूवी पूरी हो जाती है, तो प्रोडक्शन हाउस इन्हें बक्सों में संभालकर रख देते हैं। बाद में इनका उपयोग दूसरी मूवीज के लिए किया जाता है। इन्हें या तो छोटे किरदारों या डांसर्स को पहनाया जाता है। दूसरा रास्ता ये है कि इनमें इस तरह बदलाव किया जाता है कि ऐसा लगता ही नहीं कि फिर से उसी ड्रेस को काम में लिया गया है। डिजाइनर अक्षय त्यागी ने एक इंटरव्यू में बताया था कि ये ड्रेसेज प्रमुख किरदारों को फिर से नहीं पहनाई जाकर भीड़ वाले दृश्यों में लोगों पर यूज की जाती है। वाईआरएफ की 'बैंड बाजा बारात' और 'लेडीज वर्सेज रिकी बहल' के कास्ट्यूम डिजाइनर रहे अक्षय ने कहा था कि 'कजरा रे...' में जो कपड़े ऐश्वर्या ने पहने थे उनका उपयोग 'बैंड बाजा बारात' में बैकग्राउण्ड डांसर्स के लिए किया गया। हालांकि उनमें इतना बदलाव किया गया पहचानना मुश्किल था।

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बक्सों में रखते हैं सुरक्षित
अक्षय त्यागी के अनुसार, जब मूवीज की शूटिंग पूरी हो जाती है, तो उसमें काम आए कपड़ों को बड़े बक्सों में रखा जाता है। इन पर मूवी का नाम लिख स्टूडियोज को भेज दिया जाता है। बाद में उन्हें अन्य मूवीज में रियूज किया जाता है। उदाहरण के लिए, 'रेस' मूवी के कपड़ों को 'रेस 3' में बदलकर यूज किया गया और बड़ा खर्चा बचा लिया गया। ऐसा ही 'बैंग बैंग' मूवी में कई एक्शन सीन थे जिनमें सीन के मुताबिक कपड़े काम लिए गए। इनका खर्चा बेकार न जाए, इसलिए अन्य मूवीज में इनका उपयोग किया गया।

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बोली लगाई जाती है
कई मूवीज में काम लिए ड्रेसेज को जन कल्याण के कामों के लिए बेचा भी जाती है। इसके लिए इन कपड़ों की बोली लगाई जाती है। 'जीने के हैं चार दिन' सॉन्ग में सलमान खान ने जो टॉवल यूज किया था, उसे नीलामी में 1.42 लाख रुपए में बेचा गया था। 'रोबोट' मूवी में ऐश्वर्या और रजनीकांत के पहने कपड़ों को भी नीलामी में बेचा गया। विदेशों में ये चलन लम्बे अरसे से है।

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सितारे ले जाते हैं घर
कुछ मूवीज स्टार्स के लिए इतनी यादगार या कहें कि महत्वपूर्ण होती हैं कि सितारे इजाजत लेकर उनमें पहने गए कपड़ों को घर ले जाते हैं। अक्षय का कहना है कि कई बार स्टार्स इच्छा जाहिर करते हैं, तो उनके लिए ऐसा किया जाता है। दीपिका पादुकोण ने 'ये जवानी है दिवानी' में नैना का किरदार निभाया था। इसमें जो चश्मा उन्होंने पहना था, वह उसे यादगार के रूप में अपने साथ ले गईं। ऋषि कपूर के बारे में कहा जाता है कि वे जिन मूवीज में स्वेटर पहनते थे, वे उनको घर ले जाते थे। स्वेटर का उनका कलेक्शन काफी बड़ा था। अक्सर मूवीज के लिए बनने वाले महंगे और भारी—भरकम ड्रेसेज को डिजाइनर अपने पास रखना पसंद करते हैं। 'बॉम्बे वैलवेट' में अनुष्का शर्मा ने 35 किलो वजनी गाउन पहना था। इसके डिजाइनर इसे अपने घर ले गए थे।



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