लॉकडाउन के उदास लम्हों पर बहुत कुछ कह जाती है शॉर्ट फिल्म 'त्रिवेदी जी'

advertise here
Read Full Article from Here

लेटेस्ट खबरें हिंदी में, अजब - गजब, टेक्नोलॉजी, जरा हटके, वायरल खबर, गैजेट न्यूज़ आदि सब हिंदी में

-दिनेश ठाकुर
अमरीकी लेखिका सुजेन टेलर का कौल है, 'भरोसे के बीज हमेशा हमारे अंदर होते हैं। कभी-कभी संकट उनके पोषण और प्रोत्साहन को विकसित करता है।' यानी संकट में भी सृजन की संभावनाओं के नए दरवाजे खुलते हैं। कोरोना के कारण दुनिया दूसरे विश्व युद्ध के बाद सबसे बड़े संकट काल से गुजर रही है। कहीं भी सब कुछ वैसा नहीं रहा, जैसा दो साल पहले था। बदले हुए माहौल में जाने कितनी और कैसी-कैसी कहानियां चारों तरफ बिखरी हुई हैं। कुछ फिल्मकार इन्हीं कहानियों को चुनकर पर्दे पर उतार रहे हैं। पिछले साल के लॉकडाउन पर 'अनपॉज्ड' (भारत), 'डेथ टू 2020' (ब्रिटेन) और 'इयरली डिपार्टेड' (अमरीका) सरीखी उम्दा शॉर्ट फिल्में सामने आ चुकी हैं। अब बांद्रा फिल्म फेस्टिवल (डिजिटल) में 'त्रिवेदी जी' दिखाई जाने वाली है। पिछले महीने दिल्ली के एक फेस्टिवल में अपने वर्ल्ड प्रीमियर में इस शॉर्ट फिल्म ने काफी वाहवाही बटोरी थी।

मुम्बई के फ्लैट में अकेली वर्तिका तिवारी
'दिल्ली क्राइम' और 'मिर्जापुर' में अदाकारी के जौहर दिखाने वाले राजेश तैलंग ने बतौर निर्देशक 15 मिनट की 'त्रिवेदी जी' में हुनर की नई बानगी पेश की है। यह कि किसी शॉर्ट फिल्म के माहौल में धड़कनें कैसे पैदा की जाती हैं। यह माहौल भारत में पिछले साल 68 दिन के लॉकडाउन के दौरान मुम्बई के एक फ्लैट का है। एक युवती (वर्तिका तिवारी) फ्लैट में अकेली रहती है। लॉकडाउन के शुरुआती कुछ दिन वह कभी अपने एलोवेरा के पौधे (इसका नाम उसने त्रिवेदी जी रखा हुआ है) से बातचीत, तो कभी 'छूटा मोरा पनघट, छूटी रे बजरिया/ पर मैं क्यों फेड-अप हुई रे गुजरिया' पर डांस करते हुए खुद को बहलाती है। फिर जैसे-जैसे फ्लैट के आसपास कोरोना के मरीज मिलते हैं, वह तनाव, उलझन और आशंकाओं से घिरती जाती हैै। एक गजल 'कल चौदहवीं की रात थी, शब भर रहा चर्चा तेरा/ कुछ ने कहा ये चांद है, कुछ ने कहा चेहरा तेरा' सुनाई देने पर उसके अंदर की बर्फ चेहरे पर पिघलने लगती है।

यह भी पढ़ें : सुपरहीरो 'शक्तिमान' पर फिल्म बनाएंगे Mukesh Khanna, कृष और रा-वन से भी बड़ी मूवी को बनाने का किया दावा

trivedi_ji_short_film.png

हर किसी के लिए जाना-पहचाना माहौल
जाहिर है, 'त्रिवेदी जी' में कोई कहानी नहीं है। फिर भी छोटे-छोटे ब्योरों से फिल्म छलछलाती है। कई दृश्य संवेदनाओं को झनझना जाते हैं। हर किसी को इसका माहौल जाना-पहचाना लगता है, क्योंकि हर कोई लॉकडाउन के दौरान किसी न किसी रूप में ऐसे माहौल से दो-चार हुआ था।

यह भी पढ़ें : लॉकडाउन में 18 करोड़ ने देखी English Movies, परिवार के साथ देखने के सवाल पर दिया ये रिएक्शन

मोबाइल के जरिए पर्दे पर कमाल
किरदार के नाम पर 'त्रिवेदी जी' में सिर्फ वर्तिका तिवारी हैं। लाजवाब अदाकारी है। होनी भी चाहिए। आखिर नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से हुनर तराश कर आई हैं। भदोही (उत्तर प्रदेश) के किसान परिवार से ताल्लुक रखती हैं। इसलिए उनकी आधुनिकता में भी देशी रंग हैं। वह आलिया भट्ट की 'राजी' में नजर आई थीं, लेकिन 'त्रिवेदी जी' ने उन्हें नई पहचान दी है। यह फिल्म उन्होंने राजेश तैलंग के साथ मिलकर लिखी भी है। दोनों ने इंसान की अपराजेय जिजीविषा को निहायत सलीके से पर्दे पर उतारा है। लॉकडाउन के दौरान फिल्मों को मोबाइल से शूट करने का नया सिलसिला शुरू हुआ है। 'त्रिवेदी जी' इसी तरह शूट की गई। यकीन नहीं होता कि मोबाइल के जरिए पर्दे पर ऐसे कमाल भी रचे जा सकते हैं। फोटोग्राफी बहुत उम्दा है। कुछ जगह बैकग्राउंड की आवाजें जरूर दबी-दबी-सी महसूस होती हैं।



from Patrika : India's Leading Hindi News Portal Read Full Article
via Patrika Rss

Click to comment