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नई दिल्ली | बॉलीवुड एक्टर मनोज बाजपेयी को तीसरी बार बेस्ट एक्टर के लिए नेशनल फिल्म अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है। सोमवार को इसका ऐलान पीआईबी ने अपने ऑफिशियल सोशल मीडिया हैंडल के जरिए किया। 67वें नेशनल फिल्म अवॉर्ड्स में मनोज बाजपेयी को फिल्म 'भोंसले' के लिए बेस्ट एक्टर का अवॉर्ड मिला है। वहीं एक्टर धनुष को फिल्म 'असुरन' के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का अवॉर्ड मिला है।
तीसरी बार जीता नेशनल फिल्म पुरस्कार
मनोज बाजपेयी बहुत मंझे हुए एक्टर हैं और अपने किरदार में जान डालने में माहिर हैं। एक एक्टर के तौर पर वो बेहद कम फिल्में करते हैं लेकिन सभी में उनका शानदार अभिनय लोगों का दिल जीत लेता है। तीसरी बार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से नवाजा जाना अपने आप में एक बड़ी बात है। इससे पहले उन्हें साल 2000 में रिलीज हुई फिल्म सत्या के लिए बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर का अवॉर्ड मिला था। फिर पिंजर के लिए स्पेशल ज्यूरी अवॉर्ड के सम्मान से नवाजा गया था। अब मनोज को फिल्म भोंसले के लिए बेस्ट एक्टर का अवॉर्ड दिया गया है।
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कैसी है भोंसले की कहानी?
फिल्म 'भोंसले' को देवाशीष मखीजा ने डायरेक्ट किया है। जिसमें प्रवासी और स्थानीय लोगों की कहानी को दिखाया गया है। कैसे उनके बीच प्यार और नफरत अपने पैर पसारती है। गणेश चतुर्थी से फिल्म की कहानी की शुरुआत होती है और इसके विसर्जन पर जाकर इसकी अंत होता है। मनोज बाजपेयी ने फिल्म के अंदर एक रिटायर्ड पुलिस ऑफिसर का किरदार निभाया था जिनकी दोस्ती एक नॉर्थ इंडियन लड़की सीता से हो जाती है। जिसके बाद इसपर राजनीति होती हुई दिखाई देती है। लड़की का रेप कर दिया जाता है और भोंसले बने मनोज बाजपेयी इस लड़ाई को लड़ते हैं। इस फिल्म को साल 2018 के कान्स फिल्म फेस्टिवल में भी लॉन्च किया गया था।

मनोज बाजपेयी को आते थे सुसाइड के ख्याल
मनोज वायपेयी ने एक इंटरव्यू में बताया था कि थियेटर ज्वॉइन करने के बाद मेरा सफर शुरू हुआ था। मैंने हिंदी - इंग्लिश सीखा और एनएसडी ज्वॉइन करने के लिए अप्लाई किया। जहां मुझे तीन बार रिजेक्शन झेलना पड़ा। मैं एक आउटसाइडर था इसलिए मुझे बहुत मेहनत करनी थी। इस दौरान मुझे आत्महत्या के ख्याल भी आए तो मेरे दोस्त मेरा सपोर्ट बने। वो मुझे अकेला नहीं छोड़ते थे, मेरे साथ सोते थे। संघर्ष करते हुए मुझे पहला मौका फिल्म बैंडिट क्वीन (Bandit Queen) के लिए मिला। शेखर कपूर ने मुझे कास्ट किया था। मुझे इंडस्ट्री में फिट होने में काफी वक्त लगा। कई बार रिजेक्ट हुआ। कभी एक साथ कई प्रोजेक्ट्स चले गए। 5 दोस्तों के साथ एक छोटे से कमरे में रहा करता था। दिनभर काम ढूंढता था फिर कोशिश करता था। मेरी पर्सनालिटी एक हीरो जैसी नहीं दिखती थी तो मुझे निकाल दिया जाता था।
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