'स्वदेश' और 'मुन्ना भाई एमबीबीएस' के लिए रिमी सेन को मिला पॉजिटिव रिस्पांस, पर रोल नहीं मिला

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मुंबई। बॉलीवुड फिल्मों की एक्ट्रेस रिमी सेन ने फिल्मों को करियर के रूप में केवल पैसा कमाने के लिए चुना था। उन्हें लोगों की नजरों में बने रहना पसंद नहीं था। ये खुलासा एक्ट्रेस ने एक इंटरव्यू में किया है। वह बताती हैं कि कॉमेडी में जरूर सफलता मिली, लेकिन ऐसे ही रोल ज्यादा आने लगे, तो उन्होंने मना कर दिया। गंभीर किस्म के किरदारों में उन्हें सफलता हाथ नहीं लगी।

कॉमेडी में सफलता, तो गंभीर फिल्मों से हुई निराशा
रिमी ने 'हंगामा', गरम मसाला', दीवाने हुए पागल' और 'गोलमाल: फन अनलिमिटेड' जैसी सफल कॉमेडी फिल्में की। हालांकि बाद में इसी तरह के रोल मिले, लेकिन उन्होंने इन्हें स्वीकार नहीं किया क्योंकि वे ऐसे रोल करते-करते थक गई थीं। वहीं, सीरियस रोल्स में भी उन्हें ज्यादा सफलता नहीं मिली। इनमें 'जॉनी गद्दार', 'संकट सिटी' और 'शार्गिद' जैसी फिल्में शामिल हैं। इस बारे में रिमी ने टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए एक इंटरव्यू में बताया कि जब मैंने सीरीयस काम करना शुरू किया, मैंने श्रीराम राघवन, तिग्मांशु धुलिया से सम्पर्क किया, लेकिन दुर्भाग्य से वे फिल्में समय से बहुत आगे की थीं और चली नहीं। इस तरह मेरे विकल्प फिर से बंद हो गए।

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गायत्री जोशी और ग्रेसी सिंह को मिले रोल
रिमी ने बताया,'मैंने आशुतोष गोवारिकर के साथ एक कार्मिशयल किया था, इसलिए उनके साथ मेरा अच्छा रिलेशनशिप हो गया था। इसलिए मैंने 'स्वदेश' के लिए ऑडिशन दिया। लेकिन बाद में ये रोल गायत्री जोशी को मिल गया। मैंने 'मुन्ना भाई एमबीबीएस' के लिए भी ऑडिशन दिया था और इसके लिए पॉजिटिव रिस्पांस भी मिला, लेकिन अंतत ये रोल ग्रेसी सिंह को मिला। इसलिए इस तरह के कई मामले हुए और अवसर थे जो मैंने खो दिए, लेकिन ये चीजें कलाकार के जीवन का हिस्सा हैं। इसे सकारात्मक रूप से लेना चाहिए।

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अब ओटीटी पर नजर
फिल्मों में भाग्य आजमाने के बाद रिमी ने 2016 में प्रोड्यूसर के तौर पर पारी शुरू की। उन्होंने 'बुधिया सिंह—बॉर्न टू रन' का निर्माण किया, लेकिन इस फिल्म को वैसी सफलता नहीं मिली, जैसा सोचा गया था। इस असफलता से उन पर आर्थिक संकट बढ़ गया। अब एक्ट्रेस ओटीटी प्लेटफॉर्म पर काम करने के बारे में सोच रही हैं। वे कहती हैं कि अब वे इस पारी को आखिरी पारी की तरह देख रही हैं। ऐसे शोज और किरदारों को देख रही हैं, जो उनके लायक हो। अब किसी को प्रतिस्पर्धा देना संभव नहीं हैं। लीड रोल भले ही न मिले, लेकिन यादगार रोल चाहती हूं। अब मैं लोकप्रियता या पैसे के लिए नहीं बल्कि क्रिएटिव सेटिस्फेक्शन की तलाश में हूं।



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