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बॉलीवुड के जाने माने फिल्मकार anand patwardhan की बाबरी मस्जिद विध्वंस पर आधारित राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त डॉक्यूमेंट्री 'राम के नाम' पर यूट्यूब ने उम्र सीमा लगा दी है। अयोध्या विवाद की पृष्ठभूमि पर बनी इस फिल्म को केंद्रीय सेंसर बोर्ड ने 'यू' सर्टिफिकेट दिया था। निर्देशक ने कहा कि वीडियो साझा करने वाली वेबसाइट उन 'हिंदुत्ववादी गुडों को ध्यान में रख रही है जो सभी धर्मनिरपेक्ष सामग्री को खत्म कर देना चाहते हैं।'
1992 की यह डॉक्यूमेंट्री अयोध्या में बाबरी मस्जिद वाले स्थान पर राम मंदिर निर्माण के लिये हिंदू राष्ट्रवादी विश्व हिंदू परिषद के अभियान के साथ-साथ इसके कारण भड़की सांप्रदायिक हिंसा की पड़ताल करती है।

1996 में हाई कोर्ट से इसके प्रसारण की अनुमति मिलने के बाद इस फिल्म को दूरदर्शन के प्राइम टाइम पर दिखाया गया था। पटवर्धन ने कहा, हैरानी की बात है कि रिलीज के 28 साल बाद अब इसे सिर्फ 'वयस्कों' को दिखाये जाने के लायक बताया जा रहा है।' एक फेसबुक पोस्ट में निर्देशक ने रविवार को लिखा, 'यूट्यूब एक बार फिर हिंदुत्वादी गुडों का ध्यान रख रहा है जो चाहते हैं कि सभी धर्मनिरपेक्ष सामग्री खत्म हो जायें।'

उन्होंने कहा कि मेरी जिस फिल्म को सीबीएफसी ने 'यू' (यूनीवर्सल यानी सभी उम्र वालों के लिये) प्रमाणपत्र दिया है लेकिन मेरी उस फिल्म को देखने के लिए उम्र सीमा लगा रखी है।
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