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सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव पर 50,000 का जुर्माना लगाया है. तेजस्वी यादव ने अपने वर्तमान बंगले में रहने का अधिकार रखने के लिए कोर्ट में अर्जी डाली थी, जिसे कोर्ट ने अदालत के कीमती वक्त की बरबादी बताई है. कोर्ट ने इस अर्जी को खारिज कर दिया है और तेजस्वी पर 50,000 का जुर्माना भी ठोका है. शुक्रवार को चीफ जस्टिस रंजन गोगोई इस मामले की सुनवाई कर रहे थे. दरअसल, बिहार सरकार की ओर से तेजस्वी यादव को सरकारी बंगला खाली करने को कहा गया था. तेजस्वी यादव अब भी उसी बंगले में रह रहे हैं, जो उन्हें उप-मुख्यमंत्री बनने के बाद अलॉट किया गया था. इस नोटिस के खिलाफ उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की थी. न्यूज18 की खबर के मुताबिक, शुक्रवार को अभिषेक मनु सिंघवी ने जैसे ही केस में तेजस्वी यादव का पक्ष रखना शुरू किया, सीजेआई गोगोई ने तुरंत कहा कि 'मुकदमेबाजी से आपको कौन सा आनंद मिल रहा है? आप अदालत का कीमती वक्त बरबाद कर रहे हैं.' इसके बाद उन्होंने ये अर्जी खारिज करते हुए तेजस्वी पर 50,000 का जुर्माना लगा दिया और उन्हें वो बंगला खाली करने को कहा. बता दें कि तेजस्वी यादव को अपना ये बंगला उनके बाद उप-मुख्यमंत्री बने सुशील मोदी को देना था. लेकिन उन्होंने ये बंगला अभी तक खाली नहीं हुआ है. तेजस्वी यादव की इस याचिका को एक सिंगल जज और एक डिवीजन बेंच पहले ही खारिज कर चुके हैं. पटना हाईकोर्ट ने तेजस्वी की याचिका पर कहा था कि 'याची (तेजस्वी) को उनकी राज्य में मंत्री के हैसियत के हिसाब से 1,पोलो रोड, पटना में एक बंगला अलॉट किया गया है. वो इस फैसले पर बस इसलिए शिकायत नहीं कर सकते क्योंकि उन्हें पहले वाला बंगला ज्यादा पसंद है.' 5, देशरतन मार्ग पर स्थित इस बंगले में तेजस्वी 2015 में बिहार के डिप्टी सीएम बनने के बाद आए थे. महागठबंधन की इस सरकार में नीतीश कुमार मुख्यमंत्री थे. हालांकि आरजेडी के सत्ता से बाहर होने के बावजूद तेजस्वी उसी बंगले में रह रहे हैं.
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