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उत्तराखंड सरकार प्रदेश के संस्थानों में कश्मीरी छात्रों के प्रवेश के लिए नए नियम बनाएगी. उत्तराखंड में पढ़ने वाले कश्मीरी छात्रों के सोशल मीडिया पर किए जा रहे विवादित पोस्ट और कमेंट्स की घटनाओं पर लगाम कसने के लिए सरकार ने यह फैसला किया है. उत्तराखंड सरकार अब जम्मू कश्मीर के छात्रों को एडमिशन देने के संदर्भ में नए नियम बनाने जा रही है, पिछले कुछ दिनों में राज्य के अलग अलग हिस्सों में पढ़ रहे कुछ कश्मीरी छात्रों के सोशल मीडिया पर विवादित पोस्ट करने की वजह से सरकार ये कदम उठा रही है. पिछले दिनों जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए हमले के बाद, राज्य के संस्थानों में पढ़ने वाले कुछ छात्रों ने सोशल मीडिया पर कुछ अभद्र कमेंट किए. इस पर देहरादून में कई संगठनों ने नाराजगी जाहिर करते हुए विरोध प्रकट किया है. सरकार ने संबंधित अधिकारियों को नए नियम बनाने के निर्देश दे दिए हैं, जिससे देहरादून में पढ़ने आने वाले कश्मीरी छात्रों के बारे में, जम्मू कश्मीर राज्य की अथॉरिटी से सारे विवरण पता किये जा सकें. छात्र और उसके परिवार की हिस्ट्री का पूरा ब्यौरा देना जरूरी होगा, तभी राज्य के संस्थानों में प्रवेश मिल पाएगा. साथ ही साथ एडमिशन लेने वाले छात्र का लोकल पुलिस से वेरिफिकेशन कराना भी जरूरी होगा. 14 फरवरी को पुलवामा में हुए, सीआरपीएफ पर हमले के बाद, देहरादून के एक प्राइवेट संस्थान में पढ़ने वाले कश्मीर के छात्र को सस्पेंड कर दिया गया था. कॉलेज प्रशासन का आरोप है कि उसने मारे गए जवानों के संबंध में गलत पोस्ट की, बाद में उत्तराखंड पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया. कश्मीरी आतंकवादियों के समर्थन के आरोप में दो और छात्राओं को भी कॉलेज से सस्पेंड कर दिया गया. एक और मामले में रुड़की के एक प्राइवेट कॉलेज में भी कुछ कश्मीरी छात्रों के पाकिस्तान के समर्थन में नारे लगाने और सोशल मीडिया पर विवादित कमेंट करने की खबर आई है. कॉलेज प्रशासन ने वहां 7 कश्मीरी छात्रों को निलंबित कर दिया. उत्तराखंड की एक दो और जगहों से कश्मीरी छात्रों के विवादित पोस्ट करने की खबरें हैं. सोशल मीडिया की इन घटनाओं के अलावा, उत्तराखंड में दो साल पहले पढ़ने आए, दो कश्मीरी युवक जो बाद में किसी को बताए बिना गायब हो गए थे और उनमें से एक शोएब मोहम्मद लोन, देहरादून में हैकिंग की तकनीक सीखने के बाद आतंकी संगठन हिज़्बुल लश्कर से जुड़ने की खबर थी. शोएब पुलवामा की घटना से ठीक एक दिन पहले, सुरक्षा बलों से हुई मुठभेड़ में मारा गया. उसके दूसरे साथी, दानिश के भी तार आतंकी संगठनों से जुड़े होने की सूचना थी. रिपोर्ट्स के मुताबिक राज्य में करीब 3500 कश्मीरी छात्र अलग-अलग संस्थानों में पढ़ाई कर रहे हैं. शिक्षा का हब माने जाना वाला देहरादून जलवायु के हिसाब से भी कश्मीरी छात्रों का पसंदीदा शहर है. इंजीनियरिंग, मेडिकल, फार्मा से लेकर जर्नलिज्म और रेगुलर कोर्सेज में ये छात्र पढ़ाई कर रहे हैं. छात्रों के अलावा काफी संख्या में कश्मीरी छात्राएं भी यहां पढ़ती हैं. सोशल मीडिया पोस्ट से हुए विवाद के बाद, देहरादून में लगातार कश्मीरी छात्रों पर हमले और डराने धमकाने की खबरें आती रही हैं. इस बारे में, कुछ कश्मीरी छात्रों ने कहा कि ये सच है. मगर पुलिस और प्रशासन ने हमें पूरा सहयोग दिया. देहरादून में जम्मू एंड कश्मीर के छात्रों के संगठन के अध्यक्ष, नासिर खुएहामी जो ने बताया कि देहरादून में लॉ एंड आर्डर की स्थिति ठीक है और लोकल प्रशासन काफी मदद कर रहा है. उन्होंने दावा किया कि हमने तकरीबन 96% छात्रों को यहां से निकाल लिया है और 4% को निकालने वाले हैं. लेकिन डर की कोई बात नहीं है, ज्यादातर इंस्टीट्यूट्स में छुट्टियां हो चुकी हैं और अफवाहों के चलते कश्मीर में बच्चों के अभिभावक चिंतित हैं, माहौल ठीक होने पर सभी वापस आकर अपनी पढ़ाई पूरी करेंगे. HNB गढ़वाल यूनिवर्सिटी के छात्र, नासिर ने सोशल मीडिया पर कश्मीरी छात्रों के विवादित पोस्ट को गलत ठहराया और उनके खिलाफ कार्रवाई को सही ठहराया.
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