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अगले साल खेलों के महाकुंभ यानी ओलिंपिक खेलों का आयोज जापान की राजधानी टोक्यो में होने वाला है. पर्यावरण को बचाने के लिए अपने अनठे प्रयोगों की वजह से मशहूर जापान में इस बार ओलिंप्क मेडल के लिए एक ऐसा प्रयोग किया जा रहा है जो प्रयावरण प्रेमियों का दिल जीत लेगा. दरअसल टोक्यो ओलिंपिक में अपनी काबिलियत का मुजाहिरा करके सैंकड़ों एथलीट जिन मेडल्स को हासिल करेंगे वह कचरे के बने होंगे. लेकिन यह कचरा सामान्य कचरा नहीं बल्कि ई-कचरा होगा जो पर्यावरण के लिए बेहद नुकसानदायक है. टोक्यो 2020 ओलंपिक के सभी पदक इलेक्ट्रानिक कचरे के पुन:चक्रण प्रक्रिया से मिली धातु से बनाये जाएंगे. खेल के आयोजकों ने शुक्रवार को यह घोषणा की. टोक्यो ओलिंपिक की आयोजन समिति ने 2017 में लोगों से पुराने स्मार्टफोन और लैपटाप सहित अन्य इलेक्ट्रॉनिक कचरे को एकत्रित करने की योजना लॉच की थी जिसका उद्देश्य मेडल्स के लिए धातु इकट्ठी करना था. जापानी व्यवसाय और उद्योग से इस कचरे के रिसाइकिलिंग के बाद मिली धातु एकत्रित की जा चुकी है. शुक्रवार को जारी बयान के अनुसार आयोजकों ने कहा कि जितनी मात्रा में धातु मिली है, उससे उसका लक्ष्य पूरा हो जाएगा और यह प्रक्रिया मार्च के अंत में समाप्त हो जाएगी. पिछले साल नवंबर में जापान के नगर निगम अधिकारियों ने 47,488 टन बेकार उपकरण एकत्रित किए थे जिसमें से लोगों ने स्थानीय नेटवर्क को 50 लाख इस्तेमाल किए जाने फोन दिए थे. ओलिंपिक पदक बनाने के लिए पहले भी इलेक्ट्रानिक कचरे के री-सायकिल से मिली धातु इस्तेमाल की जा चुकी है जिसमें रियो ओलंपिक भी शामिल था जिसमें 30 प्रतिशत चांदी और कांसा ऐसे ही प्राप्त किया गया था. (इनपुट भाषा)
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