'Romeo Akbar Walter' Movie Review: दुश्मन देश में जाकर उनकी आखों में धूल झोंकता है ये 'RAW' एजेंट, जानें फिल्म की कहानी

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बॅालीवुड स्टार John Abraham की फिल्म 'Romeo Akbar Walter' रिलीज हो चुकी है। जॅान की यह फिल्म देशभक्ति को दर्शाती है। इस फिल्म का निर्देशन रॉबी ग्रेवाल ने किया है। तो आइए बिना देर किए जानते हैं कैसी है फिल्म रॅा।

 

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फिल्म की कहानी

इस फिल्म की कहानी 1971 के दौर की है जहां रोमियो, अकबर और वॉल्टर नाम का एक शख्स दुश्मन देश में जाकर देश की रक्षा के लिए अपनी जान की बाजी लगाकर जासूसी करता है। कहानी अकबर (जॉन अब्राहम) से शुरू होती है, जिसे पाकिस्तानी इंटेलिजेंस अफसर खुदाबख्श (सिकंदर खेर) के हाथों खूब टॉर्चर किया जा चुका है। थर्ड डिग्री का इस्तेमाल करके उसके नाखून तक उखाड़ दिए गए हैं। पाकिस्तान इंटेलिजेंस को अकबर के भारतीय रॉ के जासूस होने का शक है। वहां से कहानी फ्लैशबैक में ट्रैवल करती है। बैंक में काम करनेवाला रोमियो ईमानदार और बहादुर है। वह बैंक में काम करनेवाली श्रद्धा (मौनी रॉय) से प्यार करता है। वह अपनी मां के साथ रहता है। एक समय उसके पिता ने देश के लिए अपनी जान गंवाई थी और उसके बाद उसकी मां ने देशभक्ति के जुनून से दूर एक आम जिंदगी में उसकी परवरिश की थी, मगर बैंक में होनेवाली डकैती उनकी जिंदगी बदलकर रख देती है। बैंक में हुई रॉबरी का वह जांबाजी से मुकाबला करता है। उस रॉबरी के बाद रोमियो को बताया जाता है कि उसे रॉ के चीफ श्रीकांत राय (जैकी श्रॉफ) द्वारा रॉ के एक जासूस के रूप में चुना गया है और अब उसे अकबर मलिक बनकर पाकिस्तान से खुफिया जानकारी जुटानी है। जासूस के रूप में उसे कड़ी ट्रेनिंग जी जाती है। पाकिस्तान आकर वह इजहाक अफरीदी (अनिल जॉर्ज) का दिल जीतता है और और कुछ ही समय में उसका विश्वासपात्र बन जाता है। वह भारत को पाकितान द्वारा बदलीपुर में होनेवाले हमले की योजना की जानकारी देता है। इस खुफिया मिशन पर उसका साथ देता है पाकिस्तानी रघुवीर यादव। सब कुछ ठीक चल रहा होता है, मगर श्रद्धा के पाकिस्तान में डिप्लोमैट के रूप में आने पर खुदाबख्श को कुछ ऐसा सुराग मिलता है, जिससे उसे अकबर पर शक हो जाता है। वह उसे टॉर्चर करके उसका सच उगलवाना चाहता है। अब देखना होगा की रोमियो और अकबर के बाद वह कैसे वाॅल्टर बनता है और कैसे अपने दुश्मनों का सामना करता है।

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पत्रिका व्यू

फिल्म में जॅान अब्राहम और जैकी श्रॉफ की एक्टिंग जबरदस्त।

फिल्म के गाने रहे कमजोर।

तपन तुषार बसु की सिनेमटॉग्रफी लाजवाब है।

खुदाबख्श के रूप में सिकंदर खेर फिल्म का सरप्राइज पैकेज साबित हुए।

 

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कुल मिलाकर इस फिल्म को पत्रिका एंटरटेंमेंट की ओर से 5 में से 3 स्टार्स दिए जा सकते हैं। हालांकि दर्शकों को यह फिल्म कितनी पसंद आती है यह वक्त बताएगा।



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