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बॉलीवुड इंडस्ट्री में अभिनेता और कॉमेडियन महमूद (Mehmood) को उनकी जिंदादिली के लिए जाना जाता है। वे इंडस्ट्री के एक मात्र ऐसे कॉमेडी एक्टर थे जिनका कद हीरो से भी ऊपर होता था। उस दौर में उन्हें लीड हीरो से ज्यादा फीस मिलती थी। उनका स्टारडम सब पर भारी था, इतना ही नहीं फिल्म मेकर्स फिल्म को हिट कराने के लिए पोस्टर पर महमूद (Mehmood) की फोटो लगाना बेहद जरूरी समझते थे। सफलता की ऊंचाइयां छूने वाले महमूद को जब भी किसी की मदद करने का मौका मिलता था वो कभी पीछे नहीं हटते थे। ये बात अलग है कि आखिरी समय में जब उन्हें किसी की जरूरत पड़ी तो मुंह मोड़ लिया था। 23 जुलाई, 2004 को महमूद इस दुनिया को अलविदा कह गए थे। आइए जानते हैं उनकी डेथ एनिवर्सरी पर उनकी पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ से जुड़े कुछ सीक्रेट्स...
महमूद ने बनाया अमिताभ को सुपरस्टार
महमूद (Mehmood) का जन्म 19 सितंबर, 1932 में हुआ था। इंडस्ट्री में अपनी दरियादिली के लिए पहचाने जाने महमूद 71 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह गए थे। महमूद ही वो कॉमेडी एक्टर हैं जिन्होंने आज सदी के महानायक कहलाए जा रहे अभिनेता अमिताभ बच्चन (amitabh bachchan) का कॅरियर बनाया था। कभी अमिताभ बच्चन, महमूद को अपने पिता समान मानते थे। लेकिन महमूद को उस समय तगड़ा झटका लगा था जब वह अस्पताल में बीमार पड़े थे और उन्होंने अमिताभ बच्चन (amitabh bachchan) से मदद मांगी थी। खुद महमूद ने एक इंटरव्यू में खुलासा किया था,'आज मेरे बेटे (अमिताभ बच्चन) के पास फिल्मों की लाइन लगी है। जिस आदमी के पास सक्सेस होती है उसके दो पिता होते हैं-एक जिसने पैदा किया और दूसरा जिसने सफलता तक पहुंचाया। मैंने उसकी काफी मदद की। कई फिल्मों में काम दिलाया। उसे मैंने अपने घर में रहने के लिए जगह दी।'
बाइपास सर्जरी होने पर देखने भी नहीं गए बिग बी
महमूद ने कहा था, 'वैसे तो अमिताभ मेरी बहुत इज्जत करता है, लेकिन उसकी एक हरकत से मुझे गहरा धक्का सा लगा। उसके पिता हरिवंशराय बच्चन गिर गए थे तो उन्हें देखने के लिए मैं अमिताभ के घर गया, लेकिन जब मेरा बाईपास सर्जरी हुआ तो अमिताभ अपने पिता के साथ ब्रीच कैंडी अस्पताल तो आया, लेकिन वो मुझे देखने नहीं आया। अमिताभ ने साबित कर दिया कि असली पिता असली होता है जबकि नकली पिता नकली।'
निधन पर अमिताभ ने लिखा था इमोशनल लेटर
जुलाई 2004 में जब महमूद साबह इस दुनिया को छोड़कर चले गए थे तो अमिताभ ने लिखा था, 'एक एक्टर के तौर पर स्थापित करने में उन्होंने हमेशा मदद की। महमूद भाई मेरे कॅरियर के शुरुआती ग्राफ में मदद करने वालों में से एक थे। वो पहले प्रोड्यूसर थे जिन्होंने मुझे 'बॉम्बे टू गोवा' में लीड रोल दिया था। मेरी कई फिल्में फ्लाप होने के बाद मैंने घर जाने का मन बना लिया था तब महमूद साबह ने भाई अनवर ने मुझे रोका था।'

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