जब बॉलीवुड की चमक-धमक छोड़ टॉयलेट साफ करने लगे थे विनोद खन्ना और फिर..

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नई दिल्ली। बॉलीवुड के शानदार एक्टर विनोद खन्ना का आज जन्मदिन है। विनोद का जन्म 6 अक्टूबर, 1946 को पाकिस्तान के पेशावर में हुआ था। उनका कद उस दौर के सभी अभिनेताओं से सबसे बड़ा था।कहा तो ये भी जाता है कि विनोद बॉलीवुड के सबसे बड़े महानायक बन सकते थे लेकिन उन्होंने अपना रास्ता ही बदल लिया और सन्यासी बनने चले गए। हालांकि बाद में उन्होंने बॉलीवुड की दुनिया में फिर से कदम रख लिया और अपनी एक बार फिर से अलग पहचान बनाई। आज उनके जन्मदिन के मौके पर हम आपको उनके हीरे से सन्यासी बनने और फिर से हीरो बनने की कहानी बताएंगे।

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विलेन से हीरो तक का सफर

विनोद खन्ना बॉलीवुड के ऐसे एक्टर में से हैं जिन्होंने अपने करियर की शुरुआत तो विलेन के रोल से की थी लेकिन कुछ ही दिनों में हैंडसम हीरो की लिस्ट में शामिल हो।विनोद खन्ना पर लड़कियां जान देती थी।उनके लव मेकिंग सीन ने इंडस्ट्री में नया ट्रेंड सेट कर दिया था। सब कुछ अच्छा चल रहा था तभी अचानक वह संन्यासी बनने चले गए। उनके इस फैसले से शबी चौक गए किसी को इस बात पर यकीन नहीं हो पा रहा था लेकिन वे संन्यासी बन चुके थे।

टॉयलेट साफ करने गले थे विनोद

बताया जाता है कि विनोद खन्ना ओशो से इस कदर प्रभावित हो गए थे कि वे उनके आश्रम में संन्यासी बन गए। खबरों की मानें तो विनोद खन्ना पुणे के ओशो आश्रम में कई सालों तक रहे थे फिर वे ओशो के साथ अमेरिका भी गए और उनकी सेवा में लगे रहते थे। एक इंटररव्यू में खुद विनोद खन्ना ने बताया था कि, ‘मैं ओशो के बगीचे की रखवाली करता था। मैं उनका टॉयलेट भी साफ करता था।’

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अभिनेता ने नेता बने विनोद खन्ना

आश्रम में उनका नाम विनोद भारती रख दिया गया था। लेकिन कुछ सालों बाद उन्हें लगा कि वे जिस मन की शांति के लिए ओशो की शरण में गए, वो उन्हें नहीं मिल रहा है। विनोद का मन बदल चुका था। वे फिर से बॉलीवुड की दुनिया में आए और सफल भी हुए। बाद में उन्होंने अभिनेता ने नेता बनने के फैसला लिया उनका ये फैसला भी सफल साबित हुआ। विनोद पंजाब की गुरदासपुर लोकसभा सीट से चार बार सांसद चुने गए थे। इतना ही नहीं अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में वह केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन और विदेश राज्य मंत्री भी बने।साल 2017 में कैंसर की बिमारी कि वजह से विनोद का निधन हो गया। वे इस दुनिया को छोड़ कर जरूर चले गए लेकिन वे अभी भी अपने चाहने वालों के दिलों में सुकून से जी रहे हैं।



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