हजारों करोड़ की फिल्म करने से ज्यादा सुकून प्रवासियों की मदद से मिला

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नई दिल्ली.
पत्रिका कीनोट सलोन में फिल्म अभिनेता सोनू सूद ने कहा कि मुझे लॉकडाउन में हजारों प्रवासियों की मदद से जो सुकून मिला, वो कोई एक हजार करोड़ की कमाई से सफल फिल्म भी नहीं दे पाती। पैसा कमाना और लाखों लोगों की दुआएं हासिल करना दोनों अलग-अलग चीज हैं। यह बिल्कुल अलग और दिलचस्प अनुभव है।

फिल्म अभिनेता सोनू सूद बुधवार को पत्रिका कीनोट सलोन में सवालों के जवाब दे रहे थे। शो का मॉडरेशन पत्रिका के संदीप पुरोहित और जितेंद्र पालीवाल ने किया। सोनू सूद ने विभिन्न राज्यों के करीब एक लाख प्रवासियों को रेल, बस, हवाईजहाज से लोगों को घर पहुंचाने का ख्याल कहां से आया, इस सवाल पर कहा कि जब सड़कों पर लोगों को पैदल चलते देखा, तो अपने पैतृक स्थान मोगा (पंजाब) में पिता की कपड़ों की दुकान के पास गुरुद्वारे में चलते लंगर का दृश्य याद आया। वहीं से मदद की हूक उठी। मैं अकेला चल पड़ा, तो मेरे साथ और लोग जुड़ते चले गए। फिल्म इण्डस्ट्री में और बाहर मेरे ऐसे कई दोस्त हैं, जिन्होंने मदद की पेशकश की। उन्होंने पूरी बस का खर्च भी उठाया। सोनू ने कहा कि कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक हर राज्य में हमने करीब एक लाख प्रवासियों और जरूरतमंदों को घर भिजवाया। यह काम बेहद चुनौतीपूर्ण था। जब हाथ में लिया तो लोग जुड़े और हौसला बढ़ता गया। मुश्किलें भी आईं। अनजान लोगों को चिह्नित करना, गाइडलाइन के मुताबिक सरकारी एजेंसियों से तालमेल रखते हुए इजाजत लेना चुनौतीपूर्ण था। बस, खाना-पानी, दवा का इंतजाम और तमाम चीजों का और अलग है। कई बार पूरा बंदोबस्त करने के बाद सरकारी एजेंसियों की गाइडलाइन ही बदल जाती थी, लेकिन हर एजेंसी के लोगों ने पूरा सहयोग किया। क्योंकि वे भी जानते थे, हमारी टीम कितनी जद्दोजहद कर रही है लोगों को घर पहुंचाने के लिए।

लोगों की मदद को रोज तोड़ता था परिवार से वादा
जब ठान लिया तो करना ही था। मेरा परिवार चिंतित रहता था। उनसे वादा करता था कि आज बाहर जाने दो, लोग बुला रहे हैं, कल नहीं जाऊंगा। फिर अगली सुबह वादा तोड़कर निकल पड़ता था। कोरोना के डर के बीच जुनून था और लोगों की दुआओं का भरोसा भी। यह सिलसिला अब भी जारी है। हम विदेशों से भी भारतीयों को ला रहे हैं। अभी बहुत काम करना बाकी है।

लोगों की समस्या समझने में चूक हुई
सोनू ने कहा कि प्रवासियों की मुश्किल को समझने में चूक हुई है। लोग एकदम से सड़कों पर आ गए। कई लोग मारे गए, कई घायल हुए। हम उनके परिवारों की भी मदद की कोशिश में जुटे हैं।

पॉजिटिव रहें... और ज्यादा अच्छा वक्त आएगा
घरों में कैद रहने के दौरान बिगड़ती मानसिक स्थिति के सवाल पर सोनू ने कहा कि फिक्र की बजाय हमें उम्मीद और हौसला रखना चाहिए। पॉजिटिव रहें, पहले जो था उससे भी ज्यादा अच्छा वक्त आएगा। कोरोना भी एक दिन जाएगा जरूर।

हक से बोलते थे, सोनू भाई- मेरे जाने का क्या हुआ
विभिन्न राज्यों के लोग मुझे हक से फोन करते पूछते थे, मेरे जाने का क्या बंदोबस्त किया। मैं आश्वस्त करता था कि आज नहीं हो पाया, कल जरूर भेजेंगे। क्योंकि लोगों की उम्मीदें थी, मैं रात दो बजे भी आने वाली फोन कॉल्स से कभी विचलित नहीं हुआ। धैर्य से जवाब दिया। मैं तो अपना काम करता रहा, लोगों के प्यार ने मुझे हीरो से सुपरहीरो बना दिया, जिसकी कल्पना नहीं की। मैं अकेला चला था, साथ में लोग जुड़ते चले गए। फिल्म इण्डस्ट्री और बाहर से मेरे ऐसे कई दोस्तों ने मदद की, उनका भी बहुत-बहुत शुक्रिया।

नेपोटिज्म को हुनर से हराएं
सोनू ने कहा, बॉलीवुड में भाई-भतीजावाद बहुत पुराना है। जब मैं आया था, तब भी था। सेलेब्रिटी किड्स को प्रोड्यूसरों के दफ्तरों में आसानी से दाखिला मिल जाता है। आउटसाइडर्स के लिए पहचान की चुनौतियां होती हैं, लेकिन हौसला रखें, अपने हुनर से हालात बदलें। यह एक चेन है, आप डिजर्व करते हैं तो कोई मुश्किल नहीं आएगी। राजनीति में आने के सवाल पर सोनू ने कहा कि 10 साल से फोन आ रहे हैं, लेकिन अभी वक्त एक्टिंग और लोगों की मदद का सुकून पाने का है। मैं राजनीति में नहीं जा रहा। मेरे पास पांच-छह फिल्मों की स्क्रीप्ट पड़ी है, जिन्हें पढऩे का वक्त लॉकडाउन में नहीं मिला।



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